पीएलसी स्काडा सिस्टम लगाने का काम दो साल देरी से चल रहा है। 2020 में इस पूरे सिस्टम को लग जाना था। लेकिन अब तक इसका काम अधूरा ही पड़ा है। इस पूरे सिस्टम को शुरू करना तो दूर मशीनों को फीट भी नहीं किया गया है। काम में तेजी लाने और जल्द पूरा कराने के लिए निगम प्रशासन अब तक 10 बार नोटिस दे चुके हैं और 1 बार पेनल्टी भी लग चूका हैं। इसके बाद भी काम में तेजी नहीं आई है। अमृत मिशन योजना के तहत पीएलसी स्काडा सिस्टम लगाया जाना है। इसका काम 2019 में शुरू होकर 2020 में पूरा हो जाना था। टेंडर और वर्क आर्डर के बाद संबंधित एजेंसी द्वारा समय पर काम शुरू नहीं किया गया। काम में काफी देरी की गई। फिर कोरोना वायर आया। जिसकी वजह से लॉक डाउन लग गया जिसके कारण काम और भी प्रभावित हुआ है। लेकिन कोरोनाकाल खत्म होने के बाद भी संबंधित एजेंसी ने काम में तेजी नहीं लाई। तब निगम ने उन्हें नोटिस देना शुरू किया।
नोटिस में साफ-साफ लिखा गया कि यदि समय पर काम पूरा नहीं किया जाएगा तो निगम प्रशासन निविदा शर्तों के तहत कार्रवाई करेगी। निविदा से बाहर कर देगी। ऐसा 10 बार नोटिस दिए जाने पर भी काम में तेजी नहीं आती तो एक बार पेनाल्टी भी लगाया। इसके बाद भी काम अब तक अधूरा ही है। अब तक मात्र आधा कार्य ही हो पाया है। स्थिति ऐसी है कि अबतक जो मशीन फीट किया जाना है। वही नहीं लगाया गया। जब मशीन पूरी तरह से फीट हो जाएगी। सेंसर लगा दिए जाएंगे तब जाकर टेस्टिंग शुरू की जाएगी। जल कार्य के अधिकारियों की माने तो जिस तेजी से काम चल रहा है। मशीन को फीट होने में ही कम से कम 2 माह लग जाएगा। इसके बाद टेस्टिंग में दो माह लगेंगे। कार्य की लापरवाही के चलते कार्य एजेंसी भी काम को पूरा करने में रूचि नहीं ले रही है।
इतना ही नहीं कार्य की लागत भी बढ़ चुकी है, लेकिन राज्य शासन से इसकी स्वीकृति अटकी हुई है। इसकी वजह से राज्य शासन की यह महती योजना अटकी हुई है। ऑटोमेटिक पेयजल सप्लाई सिस्टम शुरू नहीं हो पाया है। अब भी शहर के अधिकांश हिस्सों में मेनुअली काम कराया जा रहा है। यहां तक मोटर पंप चालू और बंद करने के लिए भी कर्मचारी लगाए जा रहे हैं। इससे समय और पैसे खर्च करना पड़ रहा है।
ऑटोमेटिक सिस्टम से हमें बहुत सी जानकारी प्राप्त होती है
पानी की समस्या कहा:
अभी जब शहर में पानी की सप्लाई हाेती है, ताे पता नहीं चलता कि कहा, किस गली में कहा तक पानी गया। लेकिन स्काडा सिस्टम से यह पता चल जाएगा। पाइप लाइन यदि अंदर से ब्लॉक है, या कचरा ईंट पत्थर होगी तो वह भी पता चल जाएगा।
पानी का लेवल:
नदी से कितना पानी ले रहे हैं। कितना साफ हुआ। पानी फिल्टर होने के बाद कितना टंकियों में भेजा गया। कौन सी टंकी कितनी भरी हैं। यह सब आनॅलाइन पता चल जाएगा। यह भी पता चलेगा की पानी सप्लाई की गई ताे कितना पानी सप्लाई हुआ।
बीमारी राेकने में मदद:
सबसे बड़ी बात यह है कि डायरिया जैसे गंभीर बीमारी को फैलने से रोकने में भी मदद मिलेगी। यदि यह सिस्टम अभी काम कर रहा हाेता ताे पाइप लाइन के लीकेज कहा है, पाइप में नाली का पानी जा रहा है। सेंसर से सारी जानकारी मिल पाएगी।
पानी की बर्बादी:
इस सिस्टम से पानी की बर्बादी राेक सकते है। जैसे पाइप लाइन में कही लीकेज हाेगी ताे यह सेंसर से कंट्रोल में पता चला जाएगा कि पाइप लाइन में कहा पर लीकेज है। जिसे तत्काल बना लिया जाएगा। हर जानकारी कंट्रोल रूम को होगी।