पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ के सरगुजा में जनसभा को संबोधित करते हुए विरासत टैक्स का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि शाही परिवार के शहजादे के सलाहकार ने कुछ समय पहले कहा था कि मिडिल क्लास पर और ज्यादा टैक्स लगाना चाहिए। अब ये लोग इससे भी एक कदम और आगे बढ़ गए हैं। अब कांग्रेस का कहना है कि वो माता-पिता से मिलने वाली विरासत पर भी टैक्स लगाएगी।
देश में लोकसभा चुनाव हर 5 साल में एक बार होता है, लेकिन अप्रैल-मई में टैक्सपेयर्स को हर साल आईटीआर फाइल करना पड़ता है. हालांकि इसकी लास्ट डेट 31 जुलाई है. मुद्दे की बात करें तो चुनाव में किसे वोट देना है यह जनता तय करती है और जनता से कितना टैक्स वसूलना है यह जनता द्वारा चुनी गई सरकार. अब इन सभी घटनाक्रम के बीच में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रौदा ने एक ऐसा बयान दे दिया है, जिसने टैक्स की गणित को जनता के साथ सरकार के लिए भी त्रिकोणमिति सा कठिन बना दिया है. उन्होंने कहा है कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है. अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो केवल 45% ही उसके बच्चों को दी जाती है जबकि 55% सरकार रख लेती है.
अब सवाल ये है कि विरासत टैक्स होता क्या है और यह भारत के टैक्स सिस्टम से कितना अलग है. सोशल मीडिया पर इसको लेकर आम यूजर्स में क्यों कंफ्यूजन फैला हुआ है. आज के इस एक्सप्लेनर में आपके इन सभी सवालों का जवाब देने वाले हैं. साथ में 20 देशों में लगने वाले टैक्स पर भी एक नजर डालेंगे ताकि यह समझ आ सके कि दुनिया में टैक्स के तौर पर कौन देश कितना पर्सेंट वसूलता है.
कौन देता है विरासत टैक्स?
विरासत टैक्स एक तरह से संपत्ति पर एक टैक्स है, जिसमें किसी मृत व्यक्ति से पैसा या घर किसी को विरासत में मिला है तो जिस व्यक्ति को संपत्ति विरासत में मिलती है, वह टैक्स का भुगतान करता है. टैक्स की दरें विरासत में मिली संपत्ति और मृतक के साथ उत्तराधिकारी के रिश्ते के पर अलग-अलग होती है. आमतौर पर आप मृतक के जितना करीब होंगे, आपको यह टैक्स चुकाने की संभावना उतनी ही कम होगी. पति-पत्नी को हमेशा विरासत टैक्स का भुगतान करने से छूट दी जाती है, परिवार के सदस्यों को भी अक्सर कम दर का भुगतान करना पड़ता है.