ग्राम चर्रा में चल रही श्रीराम कथा में पहुंचे छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री व कुरुद के विधायक अजय चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास का वर्णन करते हुए बताया कि तुलसी रचित रामचरितमानस एवं बाल्मीकि रामायण से छत्तीसगढ़ का एक गहरा सम्बन्ध है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का पुराना नाम दक्षिण कौशल, दंडकारण्य और महाकांता था। कुरुक्षेत्र में स्थित गिरीश्वर महादेव की स्थापना माता सीता द्वारा की गई थी वहीं थोड़ी दूर पर लोमश ऋषि आश्रम कुरुक्षेत्र में आता है जहां महान संत लोमश ऋषि का निवास हुआ करता था।
अजय चंद्राकर ने आगे बताया कि दंडकारण्य कुरूद से प्रारंभ होता है। यह कुरूद के मेघा मोहंदी के जंगलों से भद्राचलम तेलंगाना राज्य को जाता है। प्रभु श्रीराम से छत्तीसगढ़ का इतना पवित्र गहरा है कि छत्तीसगढ़ के निवासी चाहे वह किसी भी जात, वर्ग, समुदाय के हैं अपने भांजे में भगवान श्रीराम का स्वरूप मानते हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरगुजा से प्रारंभ होता है जहां सीता रसोई का उल्लेख इतिहास में पढ़ने को मिलेगा।
शिवरीनारायण में भगवान राम ने शबरी के झूठे बेर खाए थे और उन्हें नवधा भक्ति का ज्ञान दिया था। वहीं थोड़ी दूर पर स्थित तुरतुरिया में ऋषि वाल्मीकि का आश्रम था। यहीं वाल्मीकि ने रामायण, उत्तर रामायण लिखी थी। इस तरह से छत्तीसगढ़ का भगवान राम के साथ रामचरितमानस, वाल्मीकि रामायण, उत्तर रामायण में विशेष महत्व है।
इस अवसर पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष रविकान्त चंद्राकर, लोकेश्वर सिन्हा, झाडू राम बैस, भूपेंद्र सिन्हा, विधायक प्रतिनिधि कृष्णकांत साहू, सांसद प्रतिनिधि मूलचंद सिन्हा, त्रिलोकचंद जैन, कुलेश्वर चंद्राकर, आदर्श चंद्राकर, विक्रम बंजारे, पुष्पेंद्र साहू, घनश्याम चंद्राकर, दाऊलाल विश्वकर्मा आदि उपस्थित थे।