छत्तीसगढ़ में 25 मई 2013 को हुए झीरम घाटी नक्सल कांड की जांच रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है। यह घटना प्रदेश के लिए एक अंतहीन दर्द की तरह है।
रायपुर- छत्तीसगढ़ में 25 मई 2013 को हुए झीरम घाटी नक्सल कांड की जांच रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है। यह घटना प्रदेश के लिए एक अंतहीन दर्द की तरह है। इस नरसंहार के 11 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन अब भी झीरम के जख्म हरे हैं। आंसुओं और दर्द में आज भी झीरम के पीड़ित डूबे हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। दूसरी ओर, इस घटना पर राजनीति लगातार जारी है। उप मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने का दावा किया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार झीरम कांड की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करेगी। शर्मा ने कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भी इस मामले को लेकर तंज कसते हुए कहा कि सबूत उनकी जेब में हैं, वे निकाल नहीं रहे हैं। उसे निकलवाना पड़ेगा।
भाजपा के कटाक्ष पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 को एनआइए की अपील खारिज करते हुए कहा था कि छत्तीसगढ़ सरकार की एसआइटी झीरम मामले की जांच कर सकती है, एनआइए फाइल वापस करे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने तक राज्य में सरकार बदल गयी थी। बता दें कि इस नक्सली हमले में तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, कांग्रेस के दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ला, उदय मुदलियार, अन्य कांग्रेस नेता व सुरक्षा कर्मी सहित 32 लोग मारे गए थे।
झीरम घाटी हमले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने छह अक्टूबर 2021 में तात्कालिक राज्यपाल अनुसुईया उइके को 4,184 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। यह रिपोर्ट 10 खंडों में विभाजित थी। झीरम आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने राज्यपाल को यह रिपोर्ट दी थी।
कांग्रेस की भूपेश सरकार ने आयोग की रिपोर्ट को अधूरी बताते हुए इसे मानने से इंकार कर दिया। इसके बाद न्यायिक जांच आयोग में पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश अग्निहोत्री को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। साथ में न्यायमूर्ति जी.मिन्हाजुद्दीन को आयोग का सदस्य बनाया गया। सरकार ने तीन नए बिंदुओं को जोड़ते हुए आयोग को छह महीने में जांच पूरी कर आयोग को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिया।
कांग्रेस सरकार बनने के बाद झीरम कांड में मारे गए राजनांदगांव के कांग्रेस नेता उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने झीरम थाने में रिपोर्ट पर दर्ज कराई थी, जिस पर जांच के लिए भूपेश सरकार ने एसआइटी (विशेष जांच एजेंसी) का गठन किया था। इससे पहले एनआइए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) ने छह साल की जांच के बाद 39 नक्सलियों के खिलाफ दो चार्जशीट पेश की और नौ नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर 2023 को एनआइए की अपील खारिज कर दी थी।
नार्को टेस्ट की उठी थी मांग
झीरम कांड की 10वीं बरसी पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य और झीरम हत्याकांड में बलिदान हुए महेंद्र कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा ने अपने ही सरकार के मंत्री कवासी लखमा, अमित जोगी, डा. रमन सिंह, बस्तर के तात्कालिक आइजी मुकेश गुप्ता, तोंगपाल और दरभा थाना के तात्कालिक थाना प्रभारियों के नार्को टेस्ट की मांग की थी।
झीरम हिंसा की जांच करे राज्य सरकार: उमेश पटेल
पीसीसी के तात्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के पुत्र व पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि हमने जांच के लिए एसआइटी गठित की थी। इस मामले में एनआइए कोर्ट गया और कहा कि जांच पूरी हो चुकी है। राज्य सरकार जांच नहीं कर सकती है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जांच राज्य सरकार को करना है। पीड़ित परिवार के पक्ष में कोर्ट का फैसला आते तक चुनाव संपन्न हो चुके थे और प्रदेश में भाजपा की सरकार आ चुकी थी।
छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा, कांग्रेस सरकार में जो न्यायिक जांच आयोग गठित हुई थी। हम उसी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की बात कह रहे हैं।