बालोद जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की हड़ताल का आज दूसरा दिन है। शहर के नए बस स्टैंड पर अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर उन्होंने बुधवार से अपनी हड़ताल शुरू की है। उन्होंने कहा कि, अगर 20 दिसंबर तक उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया ने कहा, कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही हमने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए काफी कुछ किया है। 2023 में सरकार अपनी बजट में उनकी मांगों को पूरा करने की कोशिश करेगी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ की जिला महामंत्री माधुरी रत ने कहा कि, हमने कोरोना वायरस के संक्रमण काल में भी अपनी जान जोखिम में डालकर काम किया है, लेकिन हमें किसी तरह का अतिरिक्त पारिश्रमिक नहीं दिया गया। हमारा समय भी ज्यादा कर दिया गए है, लेकिन अब तक वेतन नहीं बढ़ाया है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कि, जब प्रदेश में भाजपा सरकार थी, तो उन्होंने भी टालमटोल कर दिया था। इसके बाद जब कांग्रेस ने वादों के साथ सरकार बना ली, अभी 4 साल बीत जाने के बाद भी उन्होंने हमें केवल आश्वासन दिया है। वहीं जिला अध्यक्ष आयशा खान ने कहा कि हम अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। जिले में कुल 1,523 आंगनबाड़ी केंद्र है। जिले के बालोद, गुंडरदेही और चिखलाकसा सेक्टर से 469 आंगनबाड़ी की 900 कार्यकर्ताएं और सहायिकाएं धरने पर बैठी हैं।
छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका संघ की 7 दिवसीय हड़ताल के कारण कामकाज बंद है। बुधवार को कुपोषित बच्चों के लिए चलाया जा रहा अंडा वितरण अभियान भी बंद रहा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर हड़ताल पर पहुंचीं हुई है। हड़ताल से बच्चों को दिया जाने वाला पूरक पोषण आहार भी ठप हो गया। हड़ताल पर रहे इन आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लगा रहा, वहीं इन केंद्रों के लगभग 15 हजार से अधिक बच्चों को पूरक पोषण आहार भी नहीं दिया गया। संघ की जिला अध्यक्ष आयशा खान, महामंत्री माधुरी रथ ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकताओं व सहायिकाओं को शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए। ऐसा होने तक भारत सरकार से निर्धारित न्यूनतम वेतन कार्यकर्ताओं को 18 हजार व सहायिका को 9 हजार प्रतिमाह दिया जाए।