छत्तीसगढ़ सरकार ने पटवारियों की हड़ताल पर एस्मा यानि आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून लगा दिया है. सीएम भूपेश बघेल के निर्देश और नाराजगी के बाद गृह विभाग ने एस्मा लगाने का आदेश जारी किया. इधर बालोद के पटवारियों पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. गुरुवार को जिलेभर के पटवारी धरनास्थल पर जमा हुए और विरोध-प्रदर्शन करते हुए आंदोलन को तेज कर दिया है.
बालोद शहर के नया बस स्टैंड परिसर स्थित धरनास्थल पर गुरुवार को बड़ी संख्या में पटवारी जमा हुए. उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी किए गए एस्मा के आदेश की कॉपियों को सामूहिक रूप से जला दिया.
जिला पटवारी संघ के अध्यक्ष लोकेश कुमार साहू ने बताया कि प्रदेश की सरकार अब दमनकारी नीतियां अपनाने पर उतारू हो गई हैं. यहां पर हमसे बिना कोई चर्चा किए एस्मा लगा दिया गया है. एक बार सरकार को हमसे बात तो करनी चाहिए, आखिर हम उन्हीं के तो कर्मचारी हैं. सरकार के इस आदेश के बाद पटवारियों में काफी आक्रोश है और हम एस्मा संबंधी आदेश की प्रतियां जला रहे हैं.
ये हैं पटवारियों की 8 मांगें
- वेतन विसंगति को दूर कर वेतन में बढ़ोतरी की जाए.
- वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन किया जाए. राजस्व निरीक्षक के कुल पदों में से 50% पर पटवारियों के वरिष्ठता के आधार पर और 50% पदों पर विभागीय परीक्षा के आधार पर प्रमोशन किया जाए. साथ ही 5 वर्ष पूर्ण कर चुके पटवारियों को राजस्व निरीक्षक का प्रशिक्षण दिलाया जाए.
- संसाधन और भत्ते की मांग.
- स्टेशनरी भत्ते की मांग.
- अतिरिक्त प्रभार के हल्के के भत्ते की मांग.
- पटवारी भर्ती के लिए योग्यता स्नातक करने की मांग.
- मुख्यालय निवास की बाध्यता समाप्त की जाए.
- बिना विभागीय जांच के FIR दर्ज नहीं की जाए.
23 दिनों से चल रही पटवारियों की हड़ताल के मद्देनजर राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम, 1979 की शक्तियों का प्रयोग किया है. यह आदेश 7 जून से प्रभावी है और आगामी 3 महीने के लिए लागू रहेगा. आदेश को राजपत्र में भी प्रकाशित कर दिया गया है. इस बीच पटवारी संघ की बैठक में निर्णय लिया गया है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती है, तब तक हड़ताल जारी रहेगी.