रायपुर के आरंग तहसील के रीवा गांव में पिछले कई कुछ वर्षों से पुरातत्व विभाग खोदाई कर रहा है. इस बार पुरातत्विदों को मघ शासन के समय के सिक्के प्राप्त हुए हैं. पुरातत्व विभाग के उप निदेशक प्रताप पारख ने बताया कि खोदाई में माघ शासकों का एक स्तूप, सोने का सिक्का, सिक्के बरामद हुए हैं. वरिष्ठ पुरातत्वविद् एके शर्मा के मार्गदर्शन में खोदाई शुरू होने पर एक स्तूप, सोने का सिक्का, मघ शासकों के साथ-साथ अन्य शासकों के सिक्के बरामद किए गए हैं. इस संबंध में पुरातत्वविद् राहुल सिंह ने कहा कि रीवा एक अनूठा सांस्कृतिक स्थल है और खोदाई के दौरान विभिन्न प्रकार के अवशेष मिलने से छत्तीसगढ़ के इतिहास को नया आयाम मिलेगा और इतिहास में एक नया अध्याय खुलेगा.
रीवा उत्खनन स्थल के संयुक्त निदेशक पुरुषोत्तम साहू ने बताया कि खोदाई में मिले ‘मघ वंशी’ सिक्कों पर विशेष शोध कार्य किया जा रहा है. मघवंशी सिक्कों के बारे में अधिकारियों ने बताया कि मघ शासन काल का आरंभ काल 650 ई से 700 ई के बीच माना जा रहा है. सिक्कों की जांच के बाद और नए रहस्य जानने को मिल सकता है.
रीवा में मिले पुरातत्व अवशेष पांडुवंशीय और कुषाण काल के भी हैं, जो करीब चार हजार साल प्राचीन हैं. इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यह क्षेत्र लगभग 6वीं सदी में महत्वपूर्ण प्रशासनिक तथा व्यापारिक स्थल रहा होगा. विशेषज्ञों के बताया कि 9 जून की खोदाई में एक फीट की गहराई पर तीन तरह की ईटें मिली है, जिसमें 35 सेंटीमीटर, 19 सेंटीमीटर और 7 सेंटीमीटर की ईंटें शामिल हैं.
उत्खनन करते समय 40 से अधिक टीले मिले हैं, जो बौद्ध स्तूप की तरह हैं. खोदाई के 13 दिनों बाद बड़ी मात्रा में सोने-चांदी और तांबे के सिक्के मिले हैं. ये सिक्के 7 वाहन काल के समय के बताए जा रहे हैं. अनुमान के मुताबिक महानदी के पश्चिमी किनारे में बसा ये शहर में सिक्के और मणिकणिकाएं बनाई जाती रही होगी.