नक्सलियों ने 2000 के करोड़ों के नोट दबा रखे हैं. इसका पता, इससे चलता है कि 2000 के नोटों का चलन बंद करने की घोषणा के बाद नक्सलियों का ₹40 लाख से अधिक बरामद हो चुका है. सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि जितने नोट पकड़े गए हैं उसका कई गुना वे अलग-अलग राज्यों में खपाने का प्रयास कर रहे होंगे. सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अकेले दंडकारण्य क्षेत्र में ही करीब ₹150 करोड़ नक्सलियों के पास होंगे, जो उन्होंने तेंदूपत्ता ठेकेदारों, सिविल ठेकेदार व ग्रामीणों से पार्टी फंड के नाम पर वसूले हैं.
पिछले कुछ दिनों में बस्तर में नक्सलियों का 2000 का नोट खपाने के चक्कर में कई लोग पकड़े जा चुके हैं. नक्सली अपने प्रभाव क्षेत्र के गांवों से ग्रामीणों को दो हजार का नोट देकर बैंक की शाखाओं में भेज रहे हैं. वे गांव के अलग-अलग लोगों के खाते का पासबुक भी तलाश रहे हैं. 2000 के नोट बैंक में जमा करके नए नोट लौटाने का दबाव बना रहे हैं. एक महीने पूर्व बीजापुर में नक्सलियों के सहयोगियों से ₹6 लाख पकड़ा गया.
नक्सल कमांडर मल्लेश ने करीब ₹8 लाख देकर नोट बदलवाने इन्हें भेजा था. इस प्रकरण में दो लोग जेल में हैं. इसके बाद दंतेवाड़ा में नक्सलियों के लिए बाइक खरीदकर जा रहे 3 नक्सल सहयोगियों को पकड़ा गया. मल्लेश ने ₹2 लाख देकर इन्हें भेजा था. इनके पास से मोटरसाइकिल सहित ₹1 लाख बरामद किया गया था.
इसके कुछ दिन पश्चात बीजापुर इलाके में 17 जून को 2000 के नोटों से ट्रेक्टर खरीदने का प्रयास कर रहे नक्सल सहयोगी से ₹10 लाख बरामद किया गया. अब 29 जून व एक जुलाई को बासागुड़ा एलओएस कमांडर शंकर और आरपसी अध्यक्ष कुहरामी हड़मा के ₹25 लाख को बदलवाने का प्रयास कर रहे दो नक्सल सहयोगियों को बीजापुर पुलिस ने पकड़ा है.
इनके पास से कुल ₹7 लाख 80 हजार बरामद किया गया है. शेष रकम बैंक खाते में जमा करवाने की बात इन्होंने कही है. बैंक को सूचना देकर इन खातों को सील किया गया है. 2000 के नोटों की लगातार बरामदगी के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने सतर्कता बढ़ा दी है.
2017 में नोटबंदी के समय भी छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बल ने कई कार्रवाई में नक्सलियों का ₹60 से 60 लाख पकड़ा था. इसके दो वर्ष बाद तक मुखबिरी के नाम पर राज्य में 70 से 80 ग्रामीणों की हत्या नक्सलियों ने की थी. सुरक्षा एजेंसियों को आत्मसमर्पित नक्सलियों से यह बात पता चली कि इनमें से अधिकतर हत्याएं रुपये के विवाद में की गई थी. नक्सलियों ने ग्रामीणों को रुपये बदलवाने दिए थे, पर इनमें से कईयों ने इसे लौटाया नहीं। बाद में नक्सलियों ने मुखबिर बताकर उनकी सिलसिलेवार हत्याएं की थी.
राजनांदगांव में जमीन के नीचे गाड़े हुए ₹7 लाख सुरक्षा बल ने बरामद किए थे. नक्सली इसी तरह रुपये छिपाकर रखते हैं और वक्त आने पर इसे खर्च करते हैं. चार वर्ष पहले सेंट्रल कमेटी मेंबर सुधाकर का छोटा भाई ₹25 लाख के साथ झारखंड में पकड़ा गया था. सुधाकर ने घर भिजवाने के लिए यह रुपये दिए थे. बाद में उसने आत्मसमर्पण कर शांतिपूर्ण जीवन अपना लिया, पर उसका भाई अब तक जेल में बंद है.
IGP बस्तर रेंज सुंदरराज पी. ने कहा, 2000 के नोट बंद किए जाने के बाद सुरक्षा एजेंसी अलर्ट है. छत्तीसगढ़ सहित आसपास के राज्यों में भी नजर रखे हुए हैं. इस बार नोट बदलवाने अधिक समय मिला है, इसलिए नक्सली भी हड़बड़ी में नहीं होंगे. सेंट्रल कमेटी मेंबर से लेकर एरिया कमांडर स्तर पर पार्टी फंड के नाम पर नक्सली लेवी वसूली करते रहते हैं. संगठन से लेकर व्यक्तिगत खर्च के लिए भी वे इन रुपये का उपयोग करते हैं. 2017 में नोटबंदी के बाद नक्सल संगठन के अंदर रुपयों को लेकर विवाद के कई प्रकरण की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को मिली थी.