मानसून आने के बाद देश के कई हिस्सों में असामान्य बारिश ने कई तरह की मुश्किलें खड़ी कर दी है. उत्तर के अधिकांश राज्यों में बाढ़ के हालात हैं. अधिक बारिश से उत्पादक राज्यों में कोयले का उत्पादन और बाढ़ के कारण सप्लाई प्रभावित हुई है.
इसका असर यह हुआ है कि देश के सभी पॉवर प्लांट में केवल 12 दिनों का कोयला ही बचा है, जबकि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथारिटी के नियमों के अनुसार 25 दिन का स्टॉक होना चाहिए. 180 में से 55 पॉवर प्लांट क्रिटिकल स्थिति में हैं क्योंकि वहां कोयले का स्टॉक तेजी से घट रहा है. 7 प्लांट बंद हो चुके हैं. इन हालात के कारण उत्तर के राज्यों खासकर राजस्थान, यूपी और पंजाब में बिजली सप्लाई सिस्टम प्रभावित होने की आशंका है.
देश में बिजली पैदा करने वाले सभी 180 पॉवर प्लांट कोयले पर निर्भर हैं. 180 पॉवर प्लांट की क्षमता 2,05,896 मेगावाट बिजली उत्पादन की है. जिसके लिए हर दिन 2800 हजार टन कोयले की जरूरत पड़ती है. अथॉरिटी के नियमों के अनुसार सभी पॉवर प्लांट को मिलाकर करीब 70 हजार टन का स्टॉक हर समय होना चाहिए.
लेकिन ज्यादा बारिश के कारण कोयले की सप्लाई पर असर पड़ा है. खासकर उत्तर के राज्यों में कोयले का संकट बढ़ने लगा है. पिछले हफ्ते में सभी पॉवर प्लांट को मिलाकर कुल 35,490 हजार टन कोयले का स्टॉक बचा था. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के आंकड़ों के अनुसार 180 में से 54 पॉवर प्लांट क्रिटिकल हैं, यानी कोयले का स्टॉक तेजी से कम हो रहा है.
NTPC के कोयले पर आधारित 25 पॉवर प्लांट हैं, जिनकी कुल 51,810 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है. सभी पॉवर प्लांट की स्थिति अभी बेहतर है, यहां कोयले का पर्याप्त स्टॉक है. देशभर में हो रही सप्लाई में NTPC की हिस्सेदारी 24% है.
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के मापदंडों के अनुसार हर पॉवर प्लांट में हर समय 25 दिन का कोयला स्टॉक होना अनिवार्य है, इससे कम होने पर संबंधित प्लांट को क्रिटिकल की कैटेगरी में रखा जाता है. गुरुवार की स्थिति में 180 में से 54 प्लांट में 25 दिन से कम का स्टॉक है, इसमें से घरेलू कोयले से चलने वाले 32 प्लांट शामिल हैं. आयातित कोयले पर निर्भर 9 और कोल वॉशरी से रिजेक्ट कोयले से चलने वाले 5 प्लांट शामिल हैं. 7 पॉवर प्लांट पूरी तरह ठप हैं.
कोयले की कमी का राजस्थान, पंजाब और उत्तरप्रदेश के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश पर भी असर पड़ने की पूरी आशंका है, क्योंकि स्वतंत्र रूप से काम करने और आयातित कोयले पर निर्भर पॉवर प्लांट भी कोयले की कमी से जूझने लगे हैं. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के अनुसार अधिकांश पॉवर प्लांट में संबंधित कोयला कंपनियों से कम सप्लाई की जा रही है. वहीं, कुछ पॉवर प्लांट में रेलवे से कम रैक मिलने के कारण सप्लाई प्रभावित हुई है.