सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में आगे की जांच पर रोक लगा दी है. ED इस घोटाले की जांच कर रहा था. रायपुर के न्यायालय में लगातार सुनवाई जारी थी. ₹2000 करोड़ से अधिक के घोटाले से यह मामला जुड़ा हुआ है. इस केस में कारोबारी ढेबर समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच चल रही थी.
ED के वकील सौरभ पांडे ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि स्टे लगा दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाया गया यह स्टे किस प्रकार का होगा पूछे जाने पर अधिवक्ता ने कहा कि यह आगे की पूरी कार्रवाई पर रोक है. फिलहाल आगे इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से संबंधित जुड़ी जानकारियां पूछे जाने पर अधिवक्ता पांडे ने कहा कि जब आदेश जारी होगा, तभी इस बारे में कुछ कहा जा सकता है.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रदेश के एक IAS, कारोबारी अनवर ढेबर, आबकारी विभाग में अधिकारी रह चुके एपी त्रिपाठी ने लगाई थी. सभी के प्रकरण को एक साथ सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आगे की कार्रवाई पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं.
शराब घोटाला मामले में ED ने कारोबारी अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी, नितेश पुरोहित, अरविंद सिंह, त्रिलोक ढिल्लन को गिरफ्तार किया था. यह सभी फिलहाल रायपुर के सेंट्रल जेल में बंद हैं. ED का दावा है कि इन सभी ने मिलकर एक सिंडिकेट बनाया और प्रदेश में ₹2000 करोड़ से अधिक का शराब घोटाला किया था. नकली होलोग्राम बना कर राजस्व का नुकसान करने का दावा ED अब तक करती रही है.
22 मई 2023 को ED की ओर से जारी की गई आधिकारिक जानकारी में कहा गया कि, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और अफसर अनिल टुटेजा से 121.87 करोड़ की 119 अचल संपत्ति अटैच की गई है. शराब घोटाला मामले में अब तक प्रदेश में कुल ₹180 करोड़ की संपत्ति अटैच की जा चुकी है. इसमें कैश, एफडी भी होल्ड किए गए हैं. 15 मई को ED ने कहा था, शराब घोटाले में जेल में बंद कारोबारी अनवर ढेबर से जुड़ी जांच रायपुर, भिलाई और मुंबई में की गई.
जिसमें नवा रायपुर में 53 एकड़ भूमि मिली. इसकी कीमत करीब ₹21.60 करोड़ बताई गई. ये अनवर ढेबर द्वारा ज्वाइंट वेंचर के रूप में इस्तेमाल की गई थी. ₹20 लाख की नकदी और कई आपत्तिजनक दस्तावेज मुंबई में मिले थे. 1 करोड़ की बेहिसाब निवेश की जानकारी भी मिली. ये निवेश अरविंद सिंह और उनकी पत्नी पिंकी सिंह के साथ किए गए थे. ED ने त्रिलोक सिंह ढिल्लो की ₹27.5 करोड़ की फिक्स्ड डिपॉजिट फ्रीज कर दी थी. ₹28 करोड़ के आभूषण भी जब्त किए थे.
ED ने सबसे पहले मई के शुरुआती सप्ताह में अनवर ढेबर को अरेस्ट किया और कहा- साल 2019 से 2022 तक ₹2000 करोड़ का अवैध धन शराब के काम से पैदा किया. इसे दुबई में अपने साथी विकास अग्रवाल के जरिए खपाया. ED की ओर से ऑन रिकॉर्ड बड़ी बात कही गई वो ये कि अनवर ने अपने साथ जुड़े लोगों को परसेंटेज के मुताबिक पैसे बांटे और बाकी की बड़ी रकम अपने पॉलिटिकल मास्टर्स (राजनीतिक संरक्षकों) को दी है. इसके बाद इस केस में आबकारी विभाग के अधिकारी एपी त्रिपाठी, कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन, नितेश पुरोहित, अरविंद सिंह को भी पकड़ गया था.
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा- ED द्वारा रचे गए षड्यंत्र, कथित शराब घोटाले की जांच में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक का कांग्रेस स्वागत करती है. हम तो शुरू से कहते थे कि जो ED की कार्रवाई है, पूरी तरह से द्वेषपूर्ण कार्रवाई है.
कांग्रेस की सरकार से भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक रूप से मुकाबला नहीं कर पा रही थी तो ED और IT को आगे करके इस प्रकार के षड्यंत्र रचे जा रहे थे. प्रदेश का शराब घोटाला ED के द्वारा लिखी गई फर्जी पटकथा है, सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच पर रोक लगाया है. उससे हमें पूरा भरोसा है कि इसकी सच्चाई सामने आएगी.
भाजपा की ओर से इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए अजय चंद्राकर ने कहा- यह तो न्यायिक मामला है. आगे उसमें ED क्या कदम उठा रही है इसको देखना चाहिए. कांग्रेस का काम ही सुप्रीम कोर्ट जाना है, ऐसा है कि अपने आप को निर्दोष बनाने के लिए विचित्र और हास्यास्पद स्पष्टीकरण कांग्रेस के लोग देते रहते हैं. अनगिनत मामले गिना सकता हूं जिसमें कांग्रेस कोर्ट में जाती है राफेल से शुरू करें तो संसद भवन तक गए हैं. इस मामले को यदि सर्वोच्च न्यायालय देख रही है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, ED देश की एकमात्र एजेंसी है जिसका 96% सक्सेस रेट है.