छत्तीसगढ़ में इन दिनों आई फ्लू फैला हुआ है. कई लोग आई फ्लू बीमारी से ग्रसित हैं।
कंजक्टिवाइटिस दो शब्दों कंजक्टाइवा और आइटिस से मिलकर बना होता है, जहां कंजक्टाइवा का मतलब आखों के सफेद भाग ढंकने वाली पतली झिल्ली से है और आइटिस का मतलब सूजन है. कंजक्टिवाइटिस की मरीज़ों में आंखों का लाल होना और पानी बहना सबसे आम लक्षण है I
बारिश, नमी और दूषित जल से कई तरह के बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं, जिनमें से कुछ आंखों के संक्रमण का कारण बन सकते हैं। बारिश के दिनों में हवा में नमी बढ़ने के कारण वायरस और बैक्टीरिया का खतरा बढ़ जाता है। इससे आंखों में कन्जक्टिवाइटिस, रेडनेस, आई फ्लू आदि की समस्या होने लगती है।
जानिये आई फ्लू के लक्षण
महामारी नियंत्रण संचालक ने अपने जारी किए गए पत्र में कहा है कि कंजक्टिवाइटिस के लक्षणों, उपचार और इससे बचाव के बारे में भी जानकारी दी है. उन्होंने पत्र के जरिये कहा है कि कंजक्टिवाइटिस आंख की आम बीमारी है. जिसे हम आँख आना भी कहते हैं. इस बीमारी में रोगी की आँख लाल हो जाती है, कीचड़ आता है, आँसू आते हैं, चुभन होती है तथा कभी-कभी सूजन भी आ जाती है।
बचाव के लिए बरतें ये सावधानियां
आई फ्लू संक्रमण से बचाव के लिए सफाई पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है. घर पर पैरेंट्स और स्कूल में टीचर को बच्चों को हाथों को लगातार धोने रहने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. वहीं, चश्मे, कॉन्टेक्ट लेंस और आंखों के संपर्क में आने वाली किसी भी वस्तु की भी नियमित सफाई भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.बच्चे अक्सर अपनी आंखों को रगड़ते या छूते रहते हैं, जिस कारण वे इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं. ऐसे में बच्चों को अपनी आंखों को छूने से बचने की सलाह दें और वायरस के संपर्क में आने और फैलाव से बचने के लिए छींकते या खांसते समय टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करना सिखाएं. टिश्यू पेपर को एक बार इस्तेमाल के बाद डस्टबिन में फेंक देना चाहिए.सभी को संक्रमित या संक्रमण के लक्षण वालों से दूर रहने की सलाह दें. अगर बच्चा संक्रमित हो चुका है तो उसे भी सबसे दूरी बना कर रखने के लिए कहें।
आंखों पर पहने चश्मा
आई फ्लू के मरीज को काला चश्मा पहनना चाहिए, जिससे तेज रोशनी और धूप के चलते उसकी आंखों पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े. वहीं चश्मा पहनने के कारण मरीज अपनी आंखों को बार बार छूने से भी बच सकेगा और संक्रमण भी फैलने से रुक सकेगा।