चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर उतरकर इतिहास रच दिया है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला भारत पहला देश बन गया है. पूरे देश के साथ-साथ अंबिकापुर के लोग भी इस सफलता का जश्न मना रहे हैं. अंबिकापुर के रहने वाले निशांत सिंह भी इसरो के चंद्रयान-3 टीम का हिस्सा थे. इस मौके पर निशांत का परिवार गर्व और खुशी से भर गया है.
निशांत के परिजनों ने एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाकर बधाई और शुभकामनाएं दीं. इनके घर में बधाई देने वालों का तांता लग गया है. अंबिकापुर के गोधनपुर निवासी निशांत सिंह (30) ISRO में वैज्ञानिक हैं. उनके पिता कांग्रेस नेता और ठेकेदार हैं, जबकि मां गृहिणी हैं. चंद्रयान- 3 की चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद निशांत का नाम भी अन्य वैज्ञानिकों के साथ स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया है.
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग बुधवार की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर होने वाली थी, लेकिन निशांत की मां, दादी, बुआ, चाची सहित परिवार के अन्य सदस्य सुबह से ही टीवी स्क्रीन पर टकटकी लगाए हुए बैठे थे. दिनभर पूजा-पाठ का दौर भी चलता रहा. परिवार के सदस्य भगवान से कामना करते रहे कि चंद्रयान-3 सफल हो. जैसे ही चंद्रयान-3 ने चांद पर कदम रखा, परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई.
बेटे निशांत की सफलता का यह पल परिवार के सदस्यों को भावुक करने वाला था. उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे. इस मौके पर उन्होंने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराकर बधाई दी.
वैज्ञानिक निशांत सिंह की प्राथमिक शिक्षा अंबिकापुर के कार्मेल स्कूल से हुई. 10वीं तक की पढ़ाई उन्होंने नवोदय स्कूल बसदेई सूरजपुर में की. पढ़ाई में काफी होनहार निशांत ने 10वीं में टॉप किया. इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए केरल भेजा. 11वीं-12वीं की पढ़ाई केरल में करने के बाद उन्होंने दिल्ली में इंजीनियरिंग की और फिर वैज्ञानिक बने.
वैज्ञानिक निशांत सिंह की बुआ बताती हैं कि वे बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर के निवासी हैं. वहां से निशांत के पिता सभी को लेकर अंबिकापुर आ गए थे. रामचंद्रपुर पहले अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है. एक छोटे से गांव से निकलकर निशांत ने अपना नाम राष्ट्रीय स्तर पर कमाया है.
निशांत की मां, दादी, चाची और बुआ का कहना है कि हम अपनी खुशी शब्दों में बयान नहीं कर सकते. हमें अपने बेटे पर नाज है. वह 5 साल से ISRO में वैज्ञानिक है. उन्होंने बताया कि निशांत चंद्रयान-2 टीम का भी हिस्सा था, लेकिन उस समय इसकी सफल लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं हो पाई थी.
बता दें कि चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान बाहर निकलकर चांद की सतह पर घूम रहा है. करीब 14 घंटे बाद गुरुवार सुबह इसकी पुष्टि भारतीय अंतरिक्ष संस्थान केंद्र (ISRO) ने की. 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने वाले चंद्रयान-3 ने अपनी 40 दिनों की लंबी यात्रा पूरी की है.