छत्तीसगढ़ के 2,327 शिक्षकों की पदोन्नति के बाद पदस्थापना में हुए संशोधन को निरस्त किया जा चुका है. ऐसे में करीब 700 से अधिक शिक्षकों ने कोर्ट में शरण ली है. कोर्ट ने कुछ याचिकाओं पर स्थगन आदेश जारी कर दिया है. ऐसे में ये शिक्षक न ही अपनी वर्तमान स्कूल में पढ़ा रहे हैं और न ही अपने मूल स्कूल में ज्वाइनिंग दे पा रहे हैं. मामले में स्कूल शिक्षा विभाग ने पदोन्नति उपरांत किए गए संशोधन आदेश निरस्तीकरण के संबंध में सभी संयुक्त संचालक और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं.
महाधिवक्ता कार्यालय के अभिमत अनुसार जिन शिक्षकों के संशोधित आदेश निरस्त किए गए थे, यदि वह स्वयं की इच्छा से अपने मूल पदस्थापना स्थल (जहां पदोन्नति उपरांत सर्व प्रथम पदस्थ किया गया था) कार्यभार ग्रहण करना चाहते हैं तो उन्हें कार्यभार ग्रहण कराया जाए.
जारी निर्देश में संबंधित अधिकारियों से कहा गया है कि इस संबंध में उच्च न्यायालय बिलासपुर में दायर प्रकरण में पारित निर्णय 11 सितंबर 2023 के परिप्रेक्ष्य में महाधिवक्ता कार्यालय से अभिमत चाहा गया था, संबंधित अधिकारी महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा दिए गए अभिमत के अनुसार नियमानुसार प्रक्रिया करें.
महाधिवक्ता कार्यालय से यह भी अभिमत दिया गया है कि किसी शिक्षक के विरूद्ध व्यक्तिगत अवचार का कोई प्रकरण उपस्थित होता है तो उनके विरूद्ध विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है. उच्च न्यायालय द्वारा केवल चार सितंबर 2023 के आदेश के संबंध में 11 सितंबर 2023 की स्थिति में यथास्थिति का आदेश दिया गया है.