
उत्तराखंड में सिल्क्यारा टनल में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू में उपयोग होने वाली वाली मशीन बुधवार को रायपुर से होकर गुजरी. इस मशीन को जल्द उत्तराखंड पहुंचाने के लिए रायपुर की ट्रैफिक पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाया. जिसके बाद मशीन रायपुर जिले से आगे बिलासपुर की ओर बढ़ी.

रायपुर ट्रैफिक एएसपी सचिन्द्र चौबे के मुताबिक NHAI से ट्रेलर में लोड मशीन को बिना ट्रैफिक जाम में फंसे आगे बढ़ाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाने को कहा गया था. ताकि मशीन को जल्द उत्तराखंड पहुंचाया जा सके.
आगे चौबे ने बताया कि ये मशीन 18 पहिला ट्रेलर में आरंग की ओर से खरोरा होते हुए तिल्दा से सिमगा की ओर बढ़ी, इस दौरान रायपुर ट्रैफिक के सब इंस्पेक्टर समेत करीब 35 जवान चौक-चौराहों में तैनात रहे. जिससे की मशीन को सड़क पर आगे बढ़ने में कोई अड़चन न आए.

बताया जा रहा है कि कई टन हैवी मशीन उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिल्क्यरा टनल में 12 दिन से 41 फंसे मजदूरों के रेस्क्यू अभियान में मदद करेगी. इस मशीन के सहारे सुरंग को क्लियर करवाने में मदद मिलेगी. दरअसल सुरंग में फंसे मजदूर को बाहर निकालने के लिए कई स्तरों पर सैकड़ों लोगों की टीम काम कर रही है.
रात में जब 10 मीटर की ड्रिलिंग बची थी. इस बीच आगर मशीन के सामने सरिया आ गई थी. NDRF की टीम ने रात में सरिया को काटकर अलग कर दिया. रेस्क्यू ऑपरेशन टीम के सदस्यों में से एक गिरीश सिंह रावत ने बताया, रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग आखिरी चरण में है, उम्मीद है 1-2 घंटे में मजदूर बाहर आ जाएंगे.

ड्रिलिंग कंप्लीट होने पर NDRF की 15 सदस्यीय टीम हेलमेट, ऑक्सीजन सिलेंडर, गैस कटर के साथ 800 mm की पाइपलाइन से अंदर जाएगी. अंदर फंसे लोगों को बाहर के हालात और मौसम के बारे में बताया जाएगा. डॉक्टरों का कहना है, चूंकि टनल के अंदर और बाहर के तापमान में काफी अंतर होगा, इसलिए मजदूरों को तुरंत बाहर नहीं लाया जाएगा.
मजदूरों को कमजोरी महसूस होने पर NDRF की टीम उन्हें पाइपलाइन में स्केट्स लगी टेंपरेरी ट्रॉली के जरिए बाहर खींचकर निकालेगी. इसके बाद 41 मजदूरों को एंबुलेंस में चिल्यानीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाएगा. यहां 41 बेड का हॉस्पिटल रेडी है. चिल्यानीसौड़ पहुंचने में करीब 1 घंटा लगेगा, जिसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है. जरूरत पड़ी तो मजदूरों को एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश एम्स ले जाया जाएगा.
सिलक्यारा टनल हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था. टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी. इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए. रेस्क्यू के दौरान 16 नवंबर को टनल से और पत्थर गिरे जिसकी वजह से मलबा कुल 70 मीटर तक फैला गया. टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं.