छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को दरकिनार करते हुए प्रदेश भर के स्कूल-कॉलेज और धार्मिक स्थलों के आसपास शराब दुकानें खोल दी हैं. जिसे लेकर कई बार विरोध हुआ. इसके बाद भी शासन-प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया. अब इस मामले पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने गंभीरता दिखाई है.
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने मीडिया रिपोर्ट पर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करते हुए राज्य शासन के साथ ही कलेक्टर और आबकारी विभाग के अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
प्रदेश में कई जगह स्कूल-कॉलेज और अस्पताल के आसपास ही शराब की दुकानें है. जिनका स्थानीय स्तर पर विरोध भी हुआ. यहां शराब दुकानों में आए दिन मारपीट, गुंडागर्दी और छेड़खानी जैसी घटनाएं होती हैं. जिसके चलते स्कूली बच्चों के साथ ही आम लोग भी परेशान होते हैं.
बिलासपुर के साथ ही प्रदेश में कई जगहों पर स्कूल-कॉलेजों, अस्पतालों और धार्मिक स्थलों के आसपास से शराब दुकानों को हटाने की मांग की गई. धरना-प्रदर्शन और आंदोलन भी हुए, लेकिन न तो आबकारी विभाग ने कोई ध्यान दिया और न ही कलेक्टर ने लोगों की मांगें सुनीं. शराब दुकानों के बाहर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है.
सुप्रीम कोर्ट ने शराब दुकानें संचालित करने के लिए राज्य शासन को नियम बनाने के निर्देश दिए थे. नियमानुसार ऐसे चिन्हित स्थानों और हाईवे से कम से कम 500 मीटर से ज्यादा दूर पर शराब दुकान संचालित करने का प्रावधान किया गया है. बावजूद इसके राजस्व के लिए ना तो आबकारी विभाग ने इसे गंभीरता से लिया और ना ही प्रशासन ने जनता की भावनाओं पर ध्यान दिया.
शराब दुकानों का विरोध, चखना सेंटर सहित आबकारी विभाग की मनमानी के खिलाफ मीडिया में लगातार खबरें आती रही हैं. इन मीडिया रिपोर्ट्स पर अब हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इसे जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार करते हुए राज्य शासन, आबकारी विभाग और कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.