आखिरकार विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन ये फैसला इतना आसान नहीं था. मुख्यमंत्री की दौड़ में डॉ. रमन सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह, रामविचार नेताम, गोमती साय और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव भी थे.
पार्टी ने साय के रूप में आदिवासी समाज से पहली बार मुख्यमंत्री चुना. मुख्यमंत्री की स्क्रिप्ट लिखने में अमित शाह की भूमिका अहम थी. बार-बार ये बात आ रही थी कि अगर डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री नहीं तो फिर उनकी पसंद का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.
विष्णुदेव साय को रमन सिंह की पसंद माना जाता है. रमन सिंह से पूछा गया तो उन्होंने जो 2-3 नाम दिए, उनमें विष्णुुदेव साय भी थे.
विष्णुदेव साय केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. भाजपा के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. उन्हें आदिवासी दिवस के दिन हटाया गया, तब भी वे शांत रहे. कभी पार्टी के खिलाफ बयान नहीं दिया. अमित शाह ने इस कारण उन्हें पसंद किया.
यही कारण है कि जब शाह जशपुर क्षेत्र में रोड शो में गए थे, तो वहां उन्होंने कहा था कि विष्णुदेव साय को जिताकर लाइए, इन्हें हम बड़ा आदमी बनाएंगे.
भाजपा में सीधे दावेदारी किसी की नहीं रही, लेकिन रमन सिंह, अरुण साव, रेणुका सिंह और विष्णुदेव साय CM रेस में शामिल माने जाते रहे. इन सबके बीच ओम माथुर ने कहा कि मुख्यमंत्री का नाम चौंकाने वाला हो सकता है. अब वो कारण जिसके लिए विष्णुदेव का नाम फाइनल हुआ.
- पहला कारण: लंबा राजनीतिक अनुभव, विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी विष्णुदेव साय काफी लो प्रोफाइल रहते हैं. परिवार शुरू से ही जनसंघ से जुड़ा रहा है. इनके दादा और ताऊ भी जनसंघ से विधायक-सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे. रमन सिंह के भी करीबी माने जाते हैं.
- दूसरा कारण: संगठन और सरकार दोनों में काम करने का अनुभव है. इसके बाद भी राजनीति में विष्णुदेव साय साफ-सुथरी छवि और लंबी राजनीतिक पारी खेलने वाले बड़े आदिवासी नेता हैं. कभी भी दिल्ली की दौड़ नहीं लगाई. संगठन की ओर से जो निर्देश मिले, उसी के अनुरूप कार्यकर्ता के तौर पर काम किया.
- तीसरा कारण: भाजपा ने विधानसभा चुनाव में सरगुजा की सभी 14 सीटों और बस्तर संभाग की 12 में से 8 सीटों पर कब्जा किया. ऐसा पहली बार हुआ है, जब भाजपा ने इतने बड़े स्तर पर आदिवासी सीटें जीती हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने आदिवासी कार्ड खेला है. अमित शाह भी साय को जिताने पर उन्हें बड़ा आदमी बनाने का वादा कर चुके थे.
बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, अरुण साव जैसे बड़े नेता पिछले 2-3 दिनों से विष्णुदेव साय से लगातार मिलते रहे. खुद साय डॉ. रमन सिंह से मिलने पहुंचे और आशीर्वाद लिया. यह चर्चा है कि डॉ. रमन सिंह से पूछा गया तो उन्होंने साय का नाम लिया.
साय 2 बार अध्यक्ष रहे, 2018 में चुनाव हारने के बाद भी उन्हें जिम्मेदारी दी गई. सांसद रह चुके हैं. राजनीतिक तजुर्बा है. डॉ. रमन सिंह जैसी सौम्यता, सरलता है. यह फीडबैक विष्णुदेव साय के हक में गया.
प्रदेश में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसे लेकर 3 दिसंबर को नतीजे आते ही डॉ. रमन सिंह, अरुण साव, विष्णुदेव साय, रेणुका सिंह के नाम सामने आने लगे. मीडिया के साथ ही पार्टी संगठन में इन नामों को लेकर चर्चा रही. रेणुका सिंह के समर्थकों ने खूब माहौल भी बनाया.
वहीं दूसरी ओर संघ से भी राय ली गई. साव के OBC फैक्टर, साय और रेणुका के आदिवासी फैक्टर को समझा गया. अंत में बात विष्णुदेव साय को लेकर तय हो गई. चर्चा है कि रमन सिंह ने भी उनके नाम पर सहमति जताई. वहीं उनका लो प्रोफाइल रहना और संघ के करीब होना बड़ा कारण बन गया.
सरगुजा इलाके में 14 सीटें हैं और सभी कांग्रेस के पास थीं. यहां से भाजपा ने कांग्रेस से सभी 14 सीटें छीन लीं. इसलिए माना जा रहा है कि मजबूत इलाके से मुख्यमंत्री दिया गया. अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा आदिवासी मुख्यमंत्री का मुद्दा भुनाएगी.
डिप्टी CM की दौड़ में प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, ओपी चौधरी, अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल जैसे नाम शामिल हैं. OP चौधरी के लिए भी अमित शाह ने कहा था- इन्हें जिताकर लाइए, बड़ा आदमी हम बनाएंगे. इस बयान को मुख्यमंत्री के रूप में जोड़कर देखा गया. अमर अग्रवाल और बृजमोहन अग्रवाल में से किसी को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है.
चर्चा है कि जिस दिन काउंटिंग चल रही थी, उसी दिन डॉ. रमन सिंह दिल्ली निकल गए थे और दिल्ली में बड़े नेताओं से मुलाकात की थी. नामों को लेकर चर्चा उसी दिन से शुरू हो गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने विष्णुदेव साय के नाम का प्रस्ताव रखा और अरुण साव और बृजमोहन अग्रवाल ने समर्थन किया.