छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद कई ऐसे किरदारों का पता चला है जो लंबे समय से चुपचाप अपना काम कर रहे थे. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने नरेटिव मेकिंग व सोशल मीडिया पर पर्याप्त संसाधन लगाए. कांग्रेस को जहां इस पर ‘भरोसा बरकरार’ का विश्वास था तो वहीं भाजपा ‘अऊ नइ सहिबो, बदल के रहिबो’ को लेकर हुंकार भर रही थी.
दोनों ही पार्टियों के सोशल मीडिया पर वीडियो और टीवी एड का घमासान छिड़ा था. चुनाव प्रचार के दौरान ही भाजपा सोशल मीडिया व नरेटिव वॉर में कांग्रेस पर हावी होती दिखने लगी थी. चाहे कांग्रेस सरकार की कमियों पर लगातार बनते नए-नए रचनात्मक एड की बात हो या घोषणापत्र को जनता तक पहुंचाने का चैनल, भाजपा कांग्रेस से इक्कीस नजर आई.
दोनों ही पार्टियों ने प्रोफेशनल्स की बड़ी टीम हायर कर रखी थी जो पर्दे के पीछे रह कर अपना काम कर रही थी. कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मीडिया सलाहकार आयुष पाण्डेय ने सोशल मीडिया की कमान संभाल रखी थी. वहीं भाजपा की ओर से जोशी बंधुओं तुषार जोशी व आकाश जोशी द्वारा संचालित रणनीति मीडिया ने मोर्चा संभाला था. सूत्रों के अनुसार जोशी बंधुओं की टीम रणनीति मीडिया ने भाजपा के पदाधिकारियों के साथ समन्वय बनाकर पूरे चुनाव का नरेटिव तैयार किया.
रणनीति मीडिया ने छत्तीसगढ़ के लोकल टच के अनुरूप भाजपा के लिए परिवर्तन की अपील करने वाले नारे बनाए जिनमें ‘अऊ नइ सहिबो, बदल के रहिबो’ के नारे का साथ कैंपेन की शुरुआत की गई. इस नारे को स्वयं प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत तमाम नेताओं ने प्रमुखता से लगाया और ये नारा भाजपा कार्यकर्ताओं समेत जनता की ज़ुबान पर चढ़ गया.
टीम रणनीति ने CGPSC, शराब घोटाला, कोयला घोटाला समेत अन्य मुद्दों को इसी नारे से जोड़कर टीवी एड्स बनाएं जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए. कांग्रेस की टीम ने भी भूपेश सरकार के कार्यों और घोषणा पत्र के वादों को ‘भरोसा बरकरार, फिर कांग्रेस सरकार’ कैंपेन के साथ चलाया.
घोषणा पत्र जारी होने के बाद जब भाजपा की हवा बनने लगी तो टीम रणनीति ने ‘भाजपा आवत हे’ का नारा बुलंद किया. इस नारे ने भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता के बीच विश्वास को और बढ़ाने काम किया.
इसके बाद भाजपा की सभी प्रमुख घोषणाओं को इस नारे से जोड़कर एड्स तैयार कर विभिन्न चैनलों से ग्रास रूट तक पहुंचाया. इस मामले में भाजपा की टीम ने बाजी मारी जहां कांग्रेस ने एक ही कैंपेन के साथ चुनाव लड़ा. वहीं भाजपा ने दोनों चरणों और पूरी चुनाव अवधी के समयांतर के लिए योजनाबद्ध रूप से कैंपेन बनाए.
कुछ इसी तरह की स्थिति जिला स्तर पर भी देखने को मिली. जिन जिलों में भाजपा बेहद कमजोर नजर आ रही थी और जहां उसके साफ होने का डर था, उन जिलों में भी प्रोफेशनल्स की टीम ने सोशल मीडिया के जरिए बाजी पलट दी. रायपुर जिले से लगे धमतरी जिले में इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिला. एक बड़े चेहरे को सोशल मीडिया प्रोफेशनल्स ने हीरो बनाकर पेश किया और वो बड़े अंतर से अपनी सीट जीत गए.
कांग्रेस को कर्जमाफी के अपने वादे पर पूरा भरोसा था और शुरुआत में इसका असर भी दिखा, लेकिन इसके बाद टीम रणनीति ने महतारी वंदन योजना को केंद्र में रखते हुए कई एड तैयार किए. जिससे महिला वोटरों तक पहुंचाया गया, जमीन पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने फॉर्म भरवा कर इसे और पुख्ता कर दिया. चुनाव आते-आते बाजी पलट गई और कर्जमाफी का दांव हवा में उड़ गया.
छत्तीसगढ़ के इस विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों में प्रोफेशनल टीम की भूमिका अहम रही और जनता को एक रचनात्मक और रोचक चुनाव देखने को मिला.