ऑनलाइन धोखाधड़ी में उपयोग किए जाने वाले 2 लाख से ज्यादा मोबाइल नंबरों को बंद कर दिया गया है. इनमें सबसे ज्यादा रायपुर में उपयोग होने वाले 35 हजार से ज्यादा नंबर है. इन नंबरों से न केवल लोगों को ठगा गया था बल्कि इन्हीं नंबरों से ठगी के पैसों का ऑनलाइन ट्रांसफर भी किया गया था. फिलहाल इन नंबरों को उपयोग के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. ये नंबर कंपनी की ओर से नए सिरे से भी फिलहाल किसी दूसरे कस्टमर को जारी नहीं किए जाएंगे.
केंद्र सरकार की एजेंसी सेंट्रल डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज को ठगी में उपयोग किए जा रहे इन नंबर की जानकारी पुलिस और CRP पोर्टल के माध्यम से मिली थी. ऐसा पहली बार हुआ है जब इतनी बड़ी संख्या में एक साथ इतने नंबरों को बंद किया गया है. छत्तीसगढ़ समेत देशभर में करीब 70 लाख मोबाइल नंबर बंद किए गए हैं. इन सभी नंबरों से सबसे ज्यादा ऑनलाइन ठगी की जा रही थी. ये सभी नंबर फर्जी ID से लिए गए थे.
इस वजह से फर्जी नंबर लेने वालों का पता नहीं चल पा रहा है. इनमें से 80 फीसदी से ज्यादा नंबरों की पहचान आधार और पैन नंबर से ही की गई है. केंद्र सरकार की एजेंसी ने सॉफ्टवेयर से पता किया है कि कैसे फर्जी आधार और पैन नंबरों से मोबाइल नंबर लिए गए हैं. बाद में इन्हीं नंबरों से लोगों से ऑनलाइन ठगी की गई. 28 नवंबर को इन्हें बंद कर दिया गया.
थाने में ऑनलाइन ठगी या इसी सिस्टम में पैसों का ट्रांजेक्शन की शिकायत मिलते ही पुलिस इसकी जानकारी CRP पोर्टल में अपलोड करती है. इसमें अपलोड करते ही सभी बैंकों और पेमेंट सर्विस उपलब्ध कराने वाली एजेंसियों को पता चल जाता है कि ठग किन नंबरों का उपयोग कर रहे हैं. यहीं से सरकारी एजेंसी को भी सूचना मिलती है.
ऑन लाइन ठगी की शिकायत के लिए 1930 नंबर है. ये नंबर एक तरह से कॉल सेंटर है. यहां शिकायत करते ही पैसों का ट्रांजेक्शन रोकने की प्रक्रिया की जाती है. साथ ही ये नंबर केंद्र की आर्थिक अपराध की निगरानी करने वाली एजेंसी तक पहुंच जाती है और ठगों के नंबर का पता चल जाता है.
डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी के मामले पिछले साल की तुलना में दोगुना हो गए हैं. अब आर्थिक मामलों के विभाग, राजस्व, दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम मिलकर इसे रोकने पर काम करेंगे.
सेंट्रल डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज विभाग के सचिव ने बताया कि फर्जी नंबरों की जांच अभी भी जारी है. इसलिए आने वाले महीनों में लाखों नंबर और बंद हो सकते हैं. मोबाइल कंपनियों से भी कहा गया है कि वे सिम कार्ड जारी करने का सिस्टम और मजबूत करें. आधार और पैन नंबरों की पुख्ता जांच के बाद ही नया मोबाइल नंबर अलॉट किया जाए. इससे फर्जी सिम कार्ड की पहचान पहले से हो सकेगी.