कांग्रेस शासनकाल में नवा रायपुर व रायपुर के अलग-अलग हिस्सों में लगभग 1,000 करोड़ रुपये के अलग-अलग कार्यों पर अब गोपनीय जांच होगी. नवा रायपुर में 210 करोड़ रुपये के टेंडर निरस्त करने के बाद आवास एवं पर्यावरण व नवा रायपुर विकास प्राधिकरण ने रायपुर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (RCPL) पर शिकंजा कसा है. इसके तहत NRDA ने कंपनी के खिलाफ हाइकोर्ट में कैविएट दाखिल कर दिया है.
210 करोड़ रुपये के 10 कार्यों के अलावा नवा रायपुर व रायपुर के अलग-अलग हिस्सों में कंपनी के जितने भी टेंडर मिले हैं. उन सभी की जांच जाएगी. यह जांच कार्य गुणवत्ता, समय-सीमा में कार्य पूर्ण होने की स्थिति के साथ तकनीकी दक्षता पर केंद्रित होगी. इधर 210 करोड़ रुपये के कार्यों को लेकर कंपनी के खिलाफ सोमवार को बड़ा निर्णय लिया जा सकता है.
210 करोड़ रुपये के कार्यों के टेंडर निरस्त होने के मामले में कंपनी ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है. NRDA के अधिकारियों का कहना है कि नोटिस जारी होने के बाद भी कंपनी ने अपना पक्ष नहीं रखा है. 7 दिन बीतने के बाद कंपनी को दी गई समय-सीमा भी खत्म हो जाएगी. इसके बाद NRDA कंपनी पर एकतरफा कार्रवाई के लिए बाध्य हो जाएगी. गौरतलब है कि 18 जनवरी को सबूतों और शिकायतों के आधार पर कंपनी पर कार्रवाई की गई थी.
सूत्रों के मुताबिक नवा रायपुर व रायपुर में कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिसमें काम पूरे हुए बिना कंपनी को भुगतान भी किया गया. यह राशि कंपनी को एडवांस के रूप में दी गई, लेकिन काम समय-सीमा में पूरा ही नहीं हुआ. अब जब अधूरे कार्यों की वजह से टेंडर रद्द हो चुका है. ऐसी स्थिति में भुगतान की गई राशि की रिकवरी बड़ा मुद्दा बन चुका है.
जानकारी के मुताबिक पूर्व आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर के रिश्तेदार व रायपुर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के MD असगर अली को जिस दस्तावेजों के बलबूते करोड़ों का कार्य दिया गया. उनमें तकनीकी दक्षता ही पूरी नहीं है. उदाहरण के तौर पर करोड़ों के काम करने के लिए इस कंपनी के पास वह मशीनें ही नहीं है, जिससे काम हो सके. टेंडर लेने के बाद कंपनी किसी और कंपनी के जरिए काम करवाती थी. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के दबाव में RCPL को काम पर काम मिलता रहा, लेकिन कांग्रेस शासन काल में कंपनी के खिलाफ एक भी कार्रवाई नहीं की गई.
विभागीय सूत्रों के अनुसार, रायपुर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को अब तक 120 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है. इसके अलावा कई और बिल कंस्ट्रक्शन कंपनी ने विभाग में लगाए गए हैं. हालांकि सरकार ने कंपनी का सारा भुगतान रोक दिया है. इससे पहले भी स्मार्ट सिटी लिमिटेड रायपुर ने भी कंपनी को लाखों का भुगतान किया है.