पर्यावरण बचाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के रॉबिन सिंह साइकिल से भारत भ्रमण पर निकले हैं. करीब 480 दिन पहले कन्याकुमारी से शुरू हुआ उनका सफर अब तक 28000 किमी तय कर चुका है. रॉबिन कहते हैं न साफ पानी है, न साफ हवा. अब भी नहीं चेते तो बहुत मुश्किल होगी.
रॉबिन के पर्यावरण के प्रति इस जुनून को देखते हुए अब उनका परिवार भी इस लड़ाई में कूद पड़ा. करीब आधा देश नाप चुके रॉबिन की यह यात्रा भोपाल जाकर समाप्त होगी. इससे पहले उन्होंने अपने मकसद और सफर कि किस्से मीडिया से साझा किए.
इटावा के रहने वाले रॉबिन सिंह तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश होते हुए ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, नार्थ ईस्ट के राज्यों, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली से राजस्थान और फिर वहां से गुजरात, महाराष्ट्र होते हुए वे अब छत्तीसगढ़ पहुंचे हैं.
रॉबिन ने कहा की मैं पेशे से किसान हूं. हम किसानों की क्या गलती है कि हमें पीने के लिए साफ पानी न मिले. साफ हवा न मिले. शुद्ध खाने का न मिले. आखिर हमारा अपराध क्या है? पर्यावरण से छेड़छाड़ होने के बाद जिस तरह से प्रदूषण बढ़ा है, इसका बुरा परिणाम हम सभी पर हो रहा है.
उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट इस पॉल्यूशन के लिए बड़े जिम्मेदार है. मैं लोगों को जागरूक करने के लिए निकला हूं. जब सभी जागरूक होंगे तो यह तय है कि जो पर्यावरण को बर्बाद कर रहे हैं, उन्हें रोका जाएगा. यही मेरे इस “ग्रीन इंडिया मूवमेंट” का उद्देश्य है.
रॉबिन ने कहा कि, अभियान की तैयारी एक साल से कर रहा था, तभी घरवालों को यह पता चल चुका था कि अब ये नहीं रुकेगा. थोड़ा बहुत मना करने के बाद उन्होंने फिर मेरा साथ देने की ठानी. आज मुझे करीब डेढ़ साल होने वाले मैं अपने परिजनों से नही मिला.
रॉबिन ने कहा कि उनके दो बच्चे है. 5 साल का पीयूष सिंह और बेटी डेढ़ साल की प्रार्थी सिंह है. जब वह यात्रा पर निकले थे, उस वक्त बेटी 3 महीने 17 दिन की थी. 27 सितंबर को घर से निकला. 5 अक्टूबर 2022 को ट्रेन से कन्याकुमारी पहुंचा. फिर वहां से 6 अक्टूबर को साइकिल खरीद कर सफर की शुरुआत की.
रॉबिन एक सवाल के जवाब में कहा की ये बात मैं जानता हूं कि एक दिन में पर्यावरण नहीं बदलेगा. न ही हम उसे बदल पाएंगे. हम अपने स्तर पर प्रयास चालू तो कर ही सकते हैं. आज सड़क से गुजरते हुए लोग मेरे इस अभियान को प्रोत्साहित कर रहे हैं.
साइकिल चलाने के दौरान शारीरिक थकान को लेकर उन्होंने कहा कि अब यह मेरे हैबिट का हिस्सा हो चुका है. मुझे दर्द नहीं होता. 50-60 किलोमीटर साइकिल चलाने के बाद में रेस्ट करता हूं. इस तरह हर दिन करीब 100 किमी पूरा हो जाता है.
रॉबिन ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण कोई एक व्यक्ति या संस्था की जिम्मेदारी नहीं है. एक सामूहिक रिस्पांसिबिलिटी है, जिसे हर किसी को लेना होगा. जिस प्रकार हर किसी को ऑक्सीजन चाहिए. तो सभी उसके लिए कोशिश करे. उन्हें वैसा एजुकेशन भी दीजिए.
रॉबिन ने बताया कि वह इस यात्रा के दौरान करीब 450 जिलों से होकर गुजर चुके हैं. आने वाले 11 मार्च को वे भोपाल पहुंचेंगे. जहां पर वो इस यात्रा ग्रीन इंडिया मूवमेंट को विराम देंगे. इसके बाद में घर जाकर वहां से पर्यावरण संरक्षण का मैसेज देकर लोगों को जागरूक करूंगा.