बिलासपुर जिले में वैलेंटाइन डे यानी 14 फरवरी को यादगार बनाने के लिए भैरव बाबा मंदिर में सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया. इस आयोजन का मकसद पाश्चात्य संस्कृति की तरफ जा रहे युवाओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ना और धर्म के प्रति जागरूक करना है.
बसंत पंचमी और गुप्त नवरात्रि के अवसर पर यहां ब्राह्मण बटुकों का उपनयन संस्कार भी हुआ. इस दौरान मंदिर परिसर वैदिक मंत्रोच्चार से गूंज उठा. भैरव बाबा मंदिर के मुख्य पुजारी और महंत पंडित जागेश्वर अवस्थी ने बताया कि यहां पिछले 16 साल से सामूहिक विवाह और उपनयन संस्कार का आयोजन किया जा रहा है.
हर साल की तरह इस बार भी उपनयन संस्कार पूरे विधि-विधान से किया गया. इसमें ब्राह्मण बटुकों को तेल, हल्दी, मुंडन, ब्राह्मण भोज, दीक्षा, हवन, भिक्षा, काशी यात्रा जैसे सभी संस्कार मंत्रोच्चार के साथ पूरे कराए गए.
मंदिर में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में 12 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे. मंदिर परिसर में वर-वधू पक्ष के लोगों के साथ ही उनके रिश्तेदार भी शामिल हुए. बसंत पंचमी के साथ ही 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे भी था. लिहाजा, युवक-युवतियों ने परिणय सूत्र में बंधकर इस दिन को खास बना दिया और हमेशा के लिए अपनी यादों में संजो लिया.
यहां वैदिक रीति-रिवाज से परिजनों की मौजूदगी में सभी वैवाहिक रस्में पूरी कराई गई. निःशुल्क सामूहिक विवाह और उपनयन संस्कार को आचार्य पंडित महेश्वर पांडेय के साथ ही दो प्रमुख आचार्य पंडित राजेंद्र दुबे, उप आचार्य पंडित कान्हा तिवारी, सहयोगी पंडित दीपक अवस्थी सहित पुजारियों और सेवादारों ने संपन्न कराया.
महंत पंडित जागेश्वर अवस्थी ने बताया कि 16 संस्कारों में उपनयन, वेदारंभ और समावर्तन संस्कार का विशेष महत्व है. वैदिक धर्म में यज्ञोपवीत दशम संस्कार है. इस संस्कार में बटुक को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है. यज्ञोपवीत का अर्थ है यज्ञ या गुरु के समीप आना. यज्ञोपवीत एक तरह से बालक को यज्ञ करने का अधिकार देता है.
यह आयोजन हर साल नि:शुल्क किया जाता है. सामूहिक उपनयन संस्कार में बटुकों को मंदिर की ओर से उपनयन के लिए जरूरी सामान दिया गया. प्राचीन मान्यता है कि शिक्षा ग्रहण करने से पहले यानी गुरु के आश्रम में भेजने से पहले बच्चे का यज्ञोपवीत किया जाता था.
भगवान श्रीराम और कृष्ण को भी गुरुकुल भेजने से पहले यज्ञोपवीत संस्कार हुआ था. इस अवसर पर बटुकों की दीक्षा के बाद गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा भी निकाली गई, जिसमें उनके परिजन सहित अन्य लोग शामिल हुए.