गृहमंत्री विजय शर्मा ने रीपा में हुई गड़बड़ियों की जांच चीफ सेक्रेटरी से कराने का ऐलान किया है. साथ ही उन्होंने पुलिसकर्मियों के भत्ते बढ़ाने का भी संकेत दिया है. इसके लिए एक अंतर विभागीय समिति का गठन किया जा रहा है.
विधायक चातुरी नंद ने पुलिस कर्मियों का मामला उठाया था. उन्होंने कहा कि एक ही पद पर करीब 10 से 15 साल तक पुलिस के जवान पदस्थ रहते हैं. उनमें बहुत सारे लोगों की पदोन्नति नहीं हुई है. क्या उनकी पदोन्नति जल्द की जाएगी?
गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस पर जवाब दिया, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने उन्हें स्पष्ट करने के लिए कहा. स्पीकर ने कहा कि, चातुरी नंद का सवाल बड़ा साफ है. भाड़ा, भत्ता, पौष्टिक आहार के लिए भत्ते हों या अन्य, क्या उसको रिवाइज करने की कोई कार्य योजना आपके पास है?
स्पीकर ने पूछा कि क्या, इन भत्तों को रिवाइज करेंगे? 10-10 साल से यदि भत्ता नहीं बढ़ा है, तो क्या आने वाले भविष्य में कोई ऐसी टीम बनी है जो रिपोर्ट पेश करे, और आप उस आधार पर इसे बढ़ाने के लिए इच्छा रखते हैं? इसके बारे में उनका प्रश्न है.
गृहमंत्री विजय शर्मा ने सदन को बताया कि विभाग की ओर से अंतर विभागीय समिति का गठन किया जा रहा है. समिति इसका पुनरीक्षण करेगी. उसके बाद भत्ते का निर्धारण होगा. इस प्रक्रिया में हम आगे बढ़ चुके हैं. पदोन्नति को लेकर जो सवाल है तो हर साल कार्रवाई होती है.
विधायक चातुरी नंद ने एक पुलिसकर्मी का संदेश छत्तीसगढ़ी में पढ़ा. विधायक ने कहा- ‘मोर घर छितका कुरिया, तोर घर महल अटारी’. आगे उन्होंने कहा कि, ये मंत्री जी के लिए है, ‘तोर घर रोज महफिल, मोर घर सुन्ना दुआरी’.
ये सुनकर गृहमंत्री मुस्कुराए और कहा कि, वैसे ही छितका कुरिया घर मेरा भी है. मैं उस दर्द को समझता हूं. हर हाल में जो बात अपने कही है, उस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं, उस पर काम करेंगे.
इसके बाद गृहमंत्री से पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने पूछा कि, बस्तर में जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, वहां जवान रहते हैं, लेकिन न बिजली है, न ही घर हैं. किराये के घर भी नहीं मिलते हैं. ऐसे में शासन की कोई योजना है क्या वहां हर थाना क्षेत्र में आवास बना कर देने की.
लखमा के इतना पूछते ही भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि, आप कब से पुलिस वालों के पक्ष में बोलने लगे. यह सुनकर कवासी लखमा गुस्सा गए. उन्होंने कहा कि, क्या पुलिस वाले हमारे नहीं हैं. क्या आपने ही सिर्फ भर्ती की है. आप चुप बैठो.
पूर्व मंत्री ने आगे पूछा कि, जवानों को पीने का पानी नहीं मिलता, मच्छर की समस्या है. बड़े लोग राजनीति से संबंध वाले 5 साल में ट्रांसफर होकर आते हैं, गरीब टाइप के आदिवासी-सतनामी, पिछड़ा वर्ग के जवान 20-20 साल तक पड़े रहते हैं. इसके जवाब में गृह मंत्री कहा कि यह प्रश्न उपयुक्त नहीं है.
इससे पहले कांग्रेस सरकार के समय शुरू की गई रीपा योजना पर चर्चा हुई. इसमें करोड़ों की गड़बड़ी की बात कहते हुए भाजपा विधायक अजय चंद्राकर, धरमलाल कौशिक ने अपनी ही सरकार के मंत्री को घेरा. कौशिक ने कहा कि जशपुर में 2 करोड़ के रीपा केंद्र का प्रोजेक्ट बनाने में ₹80 लाख खर्च हो गए. यह बड़ी अनियमितता है.
अजय चंद्राकर ने भी कहा, रीपा का बजट 2 साल का ₹600 करोड़ का है. कई जगहों पर जो सामान खरीदना बताया गया है, वो लगा ही नहीं है. इसकी जांच होनी चाहिए. इस पर मंत्री विजय शर्मा ने कहा- चीफ सेक्रेटरी की समिति बनाकर जांच करवाएंगे.
इसके बाद रीपा के इस मामले को लेकर हंगामा शुरू हो गया. अजय चंद्राकर ने समय सीमा बताने की मांग कर दी. चिल्लाते हुए अजय चंद्राकर ने कहा कि यह जनता से जुड़ा हुआ मामला है. बड़ा भ्रष्टाचार है. स्पीकर ने विजय शर्मा से समय सीमा के बारे में पूछा.
इस बीच धर्मजीत सिंह खड़े हुए और उन्होंने विजय शर्मा से कहा कि यह आपसे संबंधित मामला नहीं है. मंत्री जी आप टेंशन फ्री होकर जवाब दीजिए. यह पिछली सरकार से जुड़ा हुआ मामला है. धर्मजीत ने जानकारी दी कि इसमें बहुत सी राशि का भुगतान अब तक नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि, उस वक्त मंत्री और मुख्यमंत्री की ओर से सरपंचों को दबाव डालकर केंद्र शुरू किए गए. किसी भी दिन कोई भी सरपंच आत्महत्या कर सकता है. तब आप लोग यह कहेंगे कि आत्महत्या हो रही है. ना खाता, ना बही, जो मंत्री और अधिकारी, वही सही, चल रहा था.
इसलिए हाई लेवल इन्क्वायरी करवाइए, जिन-जिन सरपंचों के पैसा भुगतान नहीं हुआ है और जो आत्महत्या करने की सोच रहे हैं. आप बोलेंगे तो मैं ग्राम पंचायत के नाम सहित बता दूंगा. किसी भी दिन वह लोग आत्महत्या करेंगे, क्योंकि सरकार बदलने के बाद उनके पैसे का भुगतान खतरे में है.
इसके जवाब में मंत्री विजय शर्मा ने कहा, मैंने पहले ही कहा मैंने स्वयं जाकर विभिन्न रीपा केंद्रों को देखा है. निर्णय किया है कि चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में समिति बनाकर इसकी समीक्षा होनी चाहिए. मैं इसे स्वीकार कर रहा हूं यह जांच जरूर होनी चाहिए. इसमें चूंकि निवेश हो चुका है सरकार का, इसलिए उसको आगे क्या करना है इसका निर्णय भी करके आगे बढ़ेंगे.
ये सुनते ही धरमलाल कौशिक भी समय सीमा की मांग करने लगे. लता उसेंडी ने भी कहा कि समय सीमा पर इसकी जांच होनी चाहिए. मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि 3 महीने में इसकी जांच संपन्न करेंगे. इस पर स्पीकर ने कहा कि अब समय की घोषणा भी हो गई, जांच की घोषणा भी हो गई.
विधायक उमेश पटेल ने रीपा से जुड़े हुए मामले में कहा कि, जब से सरकार बदली है, तब से कई जगह पर यह कहा जा रहा है कि अब आपको (रीपा योजना के हितग्राहियों) एनओसी नहीं दी जाएगी. आप लोगों के काम नहीं होंगे, क्योंकि सरकार बदल गई है. अब इसे बंद कर दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि, मंत्री से मेरा सवाल है कि क्या आप निर्देशित करेंगे कि रीपा केंद्र बंद नहीं होगा. इस पर मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप हुआ है, व्यवस्था और बेहतर होनी चाहिए. इसमें बंद होने वाली बात नहीं है. सरकार का जहां पैसा लग गया है, उसका प्रयोग अवश्य किया जाएगा.
इसके बाद डॉक्टर रमन सिंह ने प्रश्न काल समाप्त होने की घोषणा कर दी.
*रीपा योजना क्या है*
कांग्रेस की पिछली सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से खेती-किसानी के साथ ही गांव में उद्यम लगाने के लिए वित्तीय एवं तकनीकी मदद करने के मकसद से रीपा योजना शुरू की. इसके तहत कृषक उत्पादक समूहों और महिला स्व-सहायता समूहों को उद्योग लगाने में हर प्रकार की मदद दिए जाने का कॉन्सेप्ट था.
कांग्रेस की सरकार दावा करती थी कि गांव की अर्थव्यवस्था को इससे मजबूती मिलेगी. गांव के गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) के रूप में विकसित किया जा रहा था. यहां गांव के अंदर आंतरिक सड़क, विद्युत, जल और नाली व्यवस्था, वर्कशेड, भंडारण, प्रशिक्षण, मार्केटिंग सपोर्ट, तकनीकी मार्गदर्शन वगैरह दिया जा रहा था.
योजना में इच्छुक स्थानीय युवाओं, स्व-सहायता समूहों का चिह्नांकन कर उद्यमियों को बिजनेस प्लान के आधार पर मशीनरी और बैंक से ऋण, विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पात्रतानुसार अनुदान, सब्सिडी अथवा शून्य ब्याज दर पर ऋण लेने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही थी.