छत्तीसगढ़ की कला के क्षेत्र में रुचि रखने वालों को बढ़ावा देने वालों के लिए भारत भवन के तर्ज पर छत्तीसगढ़ में एक भवन खुलेगा. धरसींवा विधायक अनुज शर्मा की मांग पर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इसकी घोषणा की. इसके अलावा विधायक अनुज शर्मा की कई मांग पूरी हुई है, जिस पर धरसींवा विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने कहा है कि उम्मीद से ज्यादा मिल गया है.
मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि धरसीवां विधायक अनुज शर्मा द्वारा कई मांग की गई थीं जिसमें कुंवरगढ़ महोत्सव, पद्मश्री पेंशन योजना और भारत भवन की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भवन को स्वीकृति दी गई है और इसकी तैयारी जल्द शुरू की जाएगी.
दरअसल, छत्तीसगढ़ में इसके लिए इससे पहले मात्र प्राइवेट संस्थान (कॉलेज ) थे, जहां की फीस देना हर किसी के बस की बात नहीं थी. बता दें कि भारत भवन आबीर तनवीर, तीजन बाई, देवदास बंजारे जैसे वरिष्ठ कलाकारों ने यहीं से ही अपने कला क्षेत्र में नाम कमाया है. बता दें धरसींवा विधानसभा के ग्राम पंचायत कुरा में हर साल कुंवरगढ़ महोत्सव होगा. इसमें प्रदेश के साथ-साथ देश के बड़े कलाकार शामिल होंगे.
पद्मश्री से सम्मानित कलाकार को हर महीने ₹25000 पेंशन के रूप में मिलेगी. विधायक अनुज शर्मा ने बताया कि कलाकार अपना जीवन उसी क्षेत्र में लगा देता है. कई कलाकारों को सम्मान तो मिलता है पर वह आर्थिक रूप से कमजोर रह जाते है, जिस कारण उनको उनके जीवन के अंतिम पड़ाव पर किसी और पर निर्भर रहना पड़ता है.
धरसींवा के लोगों का कहना है कि विधायक अनुज शर्मा ने दो महीने के भीतर ही छत्तीसगढ़ में धरसींवा की अलग पहचान बना दी है. लोग अब धरसींवा विधानसभा को जानने लगे हैं. साथ ही कला के क्षेत्र में इसकी पहचान बनी है. अपना भविष्य बनाने की सोच रखने वाले छात्रों को अपने प्रदेश में ही सुविधा उपलब्ध कराई है, जिसके लिए वह उनके आभारी हैं.
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रदेश का भारत भवन स्थापित है, जो भारत के सबसे अनूठे राष्ट्रीय संस्थानों में एक है. 1982 में स्थापित इस भवन में अनेक रचनात्मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है. श्यामला पहाड़ियों पर स्थित इस भवन को प्रसिद्ध वास्तुकार चार्ल्स कोरिया ने डिजाइन किया था.
भारत के विभिन्न पारंपरिक शास्त्रीय कलाओं के संरक्षण का यह प्रमुख केन्द्र है. इस भवन में एक म्यूजियम ऑफ आर्ट, एक आर्ट गैलरी, ललित कलाओं की कार्यशाला, भारतीय काव्य की पुस्तकालय आदि शामिल हैं. इन्हें अनेक नामों जैसे रूपांकर, रंगमंडल, वगर्थ और अनहद जैसे नामों से जाना जाता है. श्यामला पहाड़ियों पर स्थित भारत भवन राजधानी भोपाल के लिए कला का केंद्र है.
भारत भवन के पांच अंग हैं. इनमें से ‘रूपंकर’ ललित कला का संग्रहालय है, ‘रंगमंडल’ का सम्बन्ध रंगमंच से है, ‘वागर्थ’ कविताओं का केन्द्र है, ‘अनहद’ शास्त्रीय और लोक संगीत का केन्द्र है, जबकि ‘छवि’ सिनेमा से जुड़ी गतिविधियों के लिए है. अपनी स्थापना के समय से ही भारत भवन कला के केंद्र के रूप में पहचाना जाता रहा है.
भारत भवन अपनी कला से जुड़ी गतिवधियों के साथ ही अपनी आर्किटेक्चर और प्राकृतिक दृश्यों के लिए भी मशहूर है. इसका वास्तुशिल्प (डिजाइन) चार्ल्स कोरिया ने बनाया था और यह किसी ऊंची उठी इमारत/बिल्डिंग के बजाए जमीन के समानांतर है.
इसकी खासियत यह भी है कि इसे किसी एक स्थान से पूरा नहीं देखा जा सकता है. यहां तीन ऑडिटोरियम हैं जहां समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और रंगदर्शनियों में चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता रहता है.