छत्तीसगढ़ के कवर्धा में गो-सेवक साधराम यादव हत्याकांड में दो आरोपियों पर UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया है. प्रदेश में पहली बार गैर नक्सल मामले में UAPA के तहत कार्रवाई की गई है. पुलिस अफसरों के मुताबिक, जांच में दोनों आरोपियों का आतंकी कनेक्शन मिला है.
SP डॉ. अभिषेक पल्लव ने बताया कि, साधराम यादव की हत्या का तरीका आतंकी संगठन ISIS से मिलता जुलता है. आरोपियों अयाज खान और इद्रीस खान के लैपटॉप की जांच की गई. अयाज के जम्मू-कश्मीर जाने और संदिग्धों के संपर्क का पता चला है.
SP डॉ. पल्लव ने बताया कि, DSP के नेतृत्व में टीम जम्मू-कश्मीर भेजी गई. लोगों के बयान पर पता चला कि कहीं ना कहीं राम मंदिर उद्घाटन को लेकर आरोपियों के मन में रोष था. हत्या कर डर फैलाना ही इनका मकसद था. ये आरोपी पहले हुए झंडा कांड में भी शामिल थे.
SP ने बताया कि, साधराम का गला रेत कर हड्डी तक को काटा. गले के पीछे स्किन तक पहुंचाया गया. इससे हत्या का तरीका है, वह आतंकी संगठन ISIS के जैसा है. इनका संपर्क जिन लोगों के साथ था, वह भी इसी डायरेक्शन में इंडिकेट करते हैं.
SP अभिषेक पल्लव ने बताया कि, निश्चित रूप से जो साक्ष्य हमारे पास हैं, उसको कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा. उम्मीद है कि इसमें कन्वेंशन किया जाएगा. जैसे-जैसे जांच में खुलासा होगा. आरोपियों पर धारा लगाई जाएगी. वारदात से संबंधित और लोगों की गिरफ्तारी की जाएगी.
दरअसल, कवर्धा से लगे लालपुर गांव में मवेशी चरवाहा साधराम यादव की 20 जनवरी की रात गला रेत कर हत्या कर दी गई थी. हत्याकांड के 1 नाबालिग समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. कोर्ट ने आरोपियों को जेल भेजा. घटना के बाद शहर में तनाव का माहौल बना था.
बता दें कि इस वारदात के बाद विहिप और बजरंग ने कवर्धा बंद चक्काजाम कर दोषियों को फांसी की सजा की मांग की. लगातार विरोध प्रदर्शन किया गया। वहीं मृतक के परिवार ने शासन से मिले 5 लाख का चेक लौटा दिया था. फांसी की मांग की थी.
UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) की धारा-16 आतंकी गतिविधि को परिभाषित करती है. इसमें आतंकी घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए सजा का प्रावधान है. इसमें उम्रकैद तक हो सकती है. वहीं, UAPA की धारा 18 के तहत आतंकी घटना के षड्यंत्र को परिभाषित किया गया है.
UAPA की धारा 16 में आतंकी कृत्य के लिए सजा
- अगर ऐसे कार्य के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो मृत्यु दंड या आजीवन कारावास और जुर्माना.
- किसी अन्य मामले में कारावास की सजा होगी, जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम नहीं होगी. उसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
UAPA कानून को आतंकी गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए 1967 में लाया गया था. इस कानून के तहत उन लोगों पर कार्रवाई की जाती है, जो आतंकी गतिविधियों में संदिग्ध होते हैं. UAPA कानून राष्ट्रीय जांच एजेंसी को संदिग्ध या फिर आरोपी की संपत्ति जब्त या फिर कुर्क करने का अधिकार देता है.
UAPA कानून संविधान के अनुच्छेद-19(1) के तहत मौलिक अधिकारों पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के इरादे से पेश किया गया था. UAPA का मकसद देश की देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार को अधिकार देना है.