छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर स्थित राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कॉलेज से सोमवार को ड्रोन से दवाएं और रिपोर्ट उदयपुर भेजी गई. करीब 40 किमी की दूरी ड्रोन से 27 मिनट में पूरी की और वहां से 21 मिनट में सैंपल लेकर लौट भी आया.
प्रदेश में अपनी तरह का यह पहला प्रयोग था. यह भारत सरकार के ड्रोन टेक्नोलॉजी इन हेल्थ केयर सेक्टर का प्रोजेक्ट है. इसमें देश भर के 650 मेडिकल कॉलेज में से 25 का ही चयन किया गया है. इनमें अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज और रायपुर AIIMS भी शामिल है.
ड्रोन टेक्नोलॉजी हेल्थ सेक्टर में आपात स्थिति और सड़क जाम में बेहद कारगर है. दोपहर 12.26 बजे मेडिकल कॉलेज से 3 सैंपल किट लेकर ड्रोन ने उड़ान भरी और उदयपुर स्थित झिरमिटी स्टेडियम ग्राउंड पहुंचा. वहां से सैंपल लेकर 1.15 पर ड्रोन उड़कर फिर मेडिकल कॉलेज ग्राउंड पहुंचा.
टेस्टिंग के दौरान जिस दूरी को ड्रोन से 25 मिनट में तय किया गया, सड़क मार्ग से यह दूरी तय करने में कम से कम एक घंटे का समय लगता है. यातायात बाधित होने, हड़ताल, सड़क दुर्घटना की स्थिति में सैंपल, दवा, किट्स वगैरह की आपूर्ति में यह प्रोजेक्ट कारगर होगा.
ड्रोन का संचालन दो स्वयं सहायता समूह ड्रोन निर्माण करने वाली कंपनियों के सहयोग से करेंगी. इस परियोजना को ड्रोन दीदी नाम दिया गया है. ड्रोन के संचालन के लिए समूह की महिलाओं को दिल्ली में प्रशिक्षित भी किया गया है. इसका उपयोग केवल आपात परिस्थिति में ही किया जाएगा.
ड्रोन के संचालन की लागत प्रति किलोमीटर 150 रुपए है. ऐसे में ड्रोन के आने-जाने के एक चक्कर में ही 6000 रुपए का व्यय होगा. आने वाले समय में और अधिक भार ले जाने में सक्षम ड्रोन का परीक्षण किया जाएगा. आज जिस ड्रोन का परीक्षण किया गया था वह एक किलो भार ले जाने में सक्षम था.
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. रमनेश मूर्ति ने कहा कि यह सरगुजा के लिए बड़ी उपलब्धि है. इसके सफल होने पर भारत सरकार द्वारा अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी यह प्रोजेक्ट लागू होगा. इस तकनीक में भारत सरकार की ओर से चिकित्सक, कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण भी होगा.