दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज 17 फरवरी की रात 2:35 बजे महासमाधि में लीन हो गए. 18 फरवरी को उनके पवित्र देह को पंच तत्व में विलीन किया गया. जिस जगह पर उनकी देह को जलाया गया है, आज वहां फूल चुने जाएंगे.
इसके साथ ही चिता की राख लेने के लिए छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात सहित कई राज्यों से लोग पहुंच रहे हैं.
डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ स्थल पर दूर दूर से अनुयायियों के आने का सिलसिला शुरू है. देश के अलग-अलग राज्यों से जैन मुनियों और ट्रट के लोग भी पहुंच रहे हैं. सोमवार को यहां जैन मुनि विद्यासागर जी महराज की विनियांजलि सभा आयोजित की गई. विनियांजलि कार्यक्रम के बाद मंगलवार को अब जैन मुनि की चिता से फूल (अस्थियां) चुनने का कार्य किया जाएगा.
दिगंबर जैन चन्द्रगृह तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में संचालित प्रतिभा स्थली के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जैन उर्फ़ पप्पू ने बताया जैन मुनि की पवित्र देह को ट्रस्ट की स्थली में ही चंदन की लकड़ी और नारियल में जलाया गया है. इसके बाद से लोग दूर दूर से वहां पहुंच कर पवित्र चिता के दर्शन कर रहे हैं.
वहीं पर बैठकर जैन मुनि से आशीर्वाद मांग रहे हैं. आश्रम के लोग चिता की राख को निकालकर एक बर्तन में रख रहे हैं और लोग उस बर्तन से पवित्र राख को अपने साथ लेकर जा रहे हैं.
महाराष्ट्र से आए मुकुल जैन ने बताया कि आचार्य विद्या सागर महराज एक पवित्र आत्मा थे. वो हर साल उनके दर्शन के लिए यहां आते थे. उनके जाने से काफी दुखी हैं. ऐसा लग रहा है मानो हमारे परिवार को कोई सदस्य चला गया है. वो भारत ही नहीं विश्व स्तर के मुनि थे. वो किसी एक संप्रदाय नहीं बल्कि सभी संप्रदाय के लोगों को मानते थे.
महाराष्ट्र से आई हिना अजमेरा ने बताया कि वो हर साल मुनि जी के दर्शन के लिए आती है. इस बार भी आने वाली थी, लेकिन उनको ये नहीं पता था कि अंतिम बार उनके दर्शन नहीं होंगे. महाराज का आशीर्वाद हम सभी के साथ है, लेकिन वो इस दुनिया में नहीं हैं, इसका काफी दुख है.