छत्तीसगढ़ में अब स्कूल, अस्पताल, धार्मिक स्थलों से 100 मीटर के दायरे से बाहर ही शराब दुकानें खुल सकेंगी. अब तक 50 मीटर का प्रावधान था. मीडिया की खबर पर संज्ञान लेकर हाई कोर्ट ने इस मामले में आबकारी विभाग से जवाब-तलब किया था, जिसके बाद नियम में बदलाव किया गया है. वहीं, ED की जांच में जो तथ्य सामने आए थे, उसके आधार पर शराब माफिया की मोनोपली खत्म करने के लिए भी नए प्रावधान किए गए हैं. अब स्टॉक कम या खत्म होने पर जिलास्तर पर महकमा किसी भी डिस्टलरी से नई खेप मंगा सकेंगे. इससे पहले तक डिस्टलरी से सप्लाई के लिए जिले तय कर दिए गए थे.
मीडिया ने स्कूल और अस्पताल के 50 मीटर के दायरे में शराब दुकान व अवैध चखना सेंटरों के कारण स्कूली बच्चों, महिलाओं को होने वाली परेशानियों का मुद्दा उठाया था. इस पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लेकर आबकारी विभाग से जवाब तलब किया था. साथ ही, प्रदेशभर से अवैध चखना दुकानों को हटा दिया गया था.
इसे लेकर आबकारी विभाग ने एक बड़ा संशोधन किया है. इसके अंतर्गत अब स्कूल, अस्पताल, धार्मिक स्थल आदि के 100 मीटर के दायरे में शराब दुकानें नहीं खुल सकेंगी. जो दुकानें इस दायरे में आएंगी, उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा. इसमें पेट्रोल पंप, श्रमिक कॉलोनी और अनुसूचित जाति के सदस्यों की कॉलोनी को भी शामिल किया गया है. ऐसी कॉलोनी जहां पर श्रमिक या अनुसूचित जाति के 100 परिवार रहते हैं, उसके आसपास भी शराब दुकानें नहीं होंगी.
छत्तीसगढ़ में 2 हजार करोड़ के शराब घोटाले की जांच के दौरान ED ने भ्रष्टाचार के 3 तरीकों का खुलासा किया था. इसमें तीसरा तरीका डिस्टलर्स की मोनोपली का था. 3 डिस्टलरी केडिया, भाटिया और वेलकम डिस्टलरी हैं. इन तीनों डिस्टलरी में बनने वाली शराब की सप्लाई कहां-कहां होगी, टेंडर के जरिए जिले तय किए जाते थे.
इसके बाद स्टॉक कम या खत्म होने की स्थिति में यदि डिस्टलरी से सप्लाई नहीं होगी तो जिले के अधिकारी दूसरी डिस्टलरी या वेयर हाउस से माल नहीं मंगा सकते थे. अब ऐसी स्थिति नहीं रहेगी. एक डिस्टलरी माल की आपूर्ति करने में असफल होगी तो दूसरी से मंगा सकेंगे. इसी तरह मोनोपली खत्म करने के लिए नई बॉटलिंग प्लांट खोलने की अनुमति होगी.