छत्तीसगढ़ के मशहूर रंगकर्मी हेमंत वैष्णव का आज (29 फरवरी) सुबह 10 बजे निधन हो गया. लंबे समय वे डेंगू की बीमारी से जूझ रहे थे. हेमंत वैष्णव प्रसिद्ध नाटक ‘राजा फोकलवा’ के नायक रहे. उन्होंने हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा में कई नाटक भी लिखे. रायपुर में 42 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली.
हेमंत वैष्णव ने देश भर में अपनी पहचान राजा फोकलवा के रूप में बनाई. राकेश तिवारी निर्देशित नाटक राजा फोकलवा का उन्होंने 150 से अधिक बार मंचन किया. उनके साथ काम करने वाले रंगकर्मी बताते हैं कि हेमंत वैष्णव अपने नाटक के प्रस्तुति से आधे घंटे पहले कंबल ओढ़ कर सो जाया करते थे. जब वे सो कर उठते तब वे हेमंत वैष्णव नहीं बल्कि फोकलवा होते. वे अपने किरदार में इस तरह डूब जाते कि हर कोई अनेक अभिनय से प्रभावित हो जाता.
एक अच्छे रंगकर्मी के साथ-साथ हेमंत वैष्णव छत्तीसगढ़ी व्यंजन भी बहुत अच्छा बनाने थे. उनके करीबी बताते हैं कि बचपन से ही छत्तीसगढ़ी खाने के शौक के चलते उन्होंने छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाने में महारत हासिल थी. जब भी खाली समय मिलता वे परिवार और घर आने वाले मेहमानों को छत्तीसगढ़ी भोजन परोसते.
हेमंत वैष्णव ने नाट्य कला में कई पुरस्कार हासिल किए. खास तौर पर उन्हें बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार राष्ट्रपति के हाथों मिला. संगीत नाट्य कला अकादमी की ओर से वे सम्मानित हुए थे. लोक कला के क्षेत्र में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है. हेमंत वैष्णव के निधन की खबर से प्रदेश की कला बिरादरी से जुड़े लोगों में शोक की लहर है. हेमंत वैष्णव साहित्कार हिरहर वैष्णव के दामाद थे. उनकी पत्नी लतिका वैष्णव भी बस्तर फोक आर्ट की कलाकार हैं.