रायपुर में गुरुवार को कांग्रेसियों ने जय स्तंभ चौक स्थित SBI बैंक के सामने खड़े होकर जमकर हंगामा किया. BJP और SBI के खिलाफ नारेबाजी की. इस दौरान नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे और पूर्व विधायक विकास उपाध्याय समेत दर्जनों कांग्रेस नेता शामिल रहे.
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सभी कांग्रेस नेताओं को हटा दिया. कांग्रेस का कहना है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का BJP से गठबंधन हुआ है. दोनों मिलकर छिपा रहे चुनावी बॉन्ड की जानकारी.
इस योजना को 2017 में ही चुनौती दी गई थी, लेकिन सुनवाई 2019 में शुरू हुई. 12 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पॉलिटिकल पार्टियों को निर्देश दिया कि वे 30 मई 2019 तक में एक लिफाफे में चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को दें. हालांकि, कोर्ट ने इस योजना पर रोक नहीं लगाई.
दिसंबर 2019 में याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इस योजना पर रोक लगाने के लिए एक आवेदन दिया. इसमें मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया कि किस तरह चुनावी बॉन्ड योजना पर चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक की चिंताओं को केंद्र सरकार ने दरकिनार किया था.
2017 में अरुण जेटली ने इसे पेश करते समय दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी. ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा. दूसरी ओर इसका विरोध करने वालों का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है. इससे ये चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं.
कुछ लोगों का आरोप है कि इस स्कीम को बड़े कॉर्पोरेट घरानों को ध्यान में रखकर लाया गया है. इससे बिना पहचान उजागर हुए जितनी मर्जी उतना चंदा राजनीतिक पार्टियों को दे सकते हैं.
कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्ला ने बताया कि भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने bjp की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना के तहत राजनीतिक दलों को प्राप्त चंदे का खुलासा करने के निर्देश दिये थे.
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) को निर्देश दिये थे कि वो चुनावी चंदे से संबंधित संपूर्ण जानकारी 6 मार्च 2024 (लोकसभा चुनाव के पूर्व) के पहले सार्वजनिक करते हुए चुनाव आयोग को सौंपे.
सत्ताधारी BJP, जो कि चुनावी बॉन्ड योजना की इकलौती सबसे बड़ी लाभार्थी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से बेचैन थी. BJP को डर था कि उसके चंदा देने वाले मित्रों की जानकारी सार्वजनिक होते ही BJP की बेईमानी का सारा भंडाफोड़ हो जाएगा.
चंदा कौन दे रहा था, उसके बदले उसको क्या मिला, उनके फ़ायदे के लिए कौन से क़ानून बनाये गये, क्या चंदा देने वालों के खिलाफ जांच बंद की गई, क्या चंदा लेने के लिए जांच की धमकी दी गई, यह सब पता चल जाएगा. BJP और मोदी सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक पर जानकारी साझा नहीं करने का दबाव बनाया और कल स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आवेदन देकर जानकारी साझा करने के लिए 30 जून तक का समय मांग लिया.
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्टेट बैंक ने जानकारी देने के लिए नहीं बल्कि BJP के कुकर्मों को छिपाने के लिये समय मांगा है. देश की जनता अब अच्छे से समझ रही है कि किस तरह से सरकारी एजेंसियों/संस्थाओं पर दबाव डालकर सच्चाई को छिपाया जा रहा है. देश की जनता यह भी समझ रही है कि हकीकत छिपाने और झूठी कहानी बनाने में मीडिया भी मोदी सरकार का हमजोली बना हुआ है.