छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) का गठन कर रही है. यह एजेंसी प्रदेश में NIA यानी कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की तर्ज पर काम करेगी. इसका मेन फोकस टेररिज्म के साथ ही नक्सलियों के थिंक टैंक पर होंगा.
देश में जम्मू-कश्मीर के बाद छत्तीसगढ़ दूसरा राज्य है, जहां SIA का गठन किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ SIA टीम में 74 अधिकारी-कर्मचारी होंगे, जिन्हें IPS रैंक के अफसर लीड करेंगे. डिप्टी CM और गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि SIA में एक्सपर्ट्स शामिल होंगे.
गृह विभाग के मुताबिक, SIA टीम के लिए अफसरों-कर्मचारियों की तलाश शुरू कर दी गई है. मैदानी इलाकों के अलावा नक्सली मोर्चे पर तैनात जवानों को भी इस टीम में शामिल किया जाएगा. क्राइम ब्रांच, ACCU में काम कर चुके पुलिसकर्मियों को जगह मिल सकती है.
SIA की टीम में वर्तमान में 2 अफसरों की नियुक्ति हुई है. ASP रैंक के ये अफसर अभी ACB और EOW में हैं. बुधवार को जारी लिस्ट में इन्हें SIA में नियुक्त करने का निर्देश जारी हुआ था. SIA का सेटअप अभी नहीं बनने से ACB और EOW से इन अफसरों को अभी रिलीव नहीं किया गया है.
टीम को जांच में किसी तरह की परेशानी ना हो, इसलिए पुलिस मुख्यालय (PHQ) टीम में नियुक्त अफसरों को तकनीकी ट्रेनिंग देगा. उनकी जरूरतों के हिसाब से तकनीकी उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे. फिलहाल SIA का दफ्तर PHQ में ही बनाया जा रहा है.
पुलिस विभाग के पास मौजूद नक्सलियों, उग्रवादियों और अपराधियों की ऑनलाइन जानकारी SIA काे मिल सकेगी. इसके लिए नेशनल ऑटोमैटिक फिंगर प्रिंट आइडेंटिटी सिस्टम (NAFIS) का एक्सेस भी उसे दिया जाएगा. NAFIS नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) का प्रोजेक्ट है.
इसके जरिए 18 राज्यों की पुलिस को एक-दूसरे के राज्यों के अपराधियों के रिकॉर्ड शेयर किए गए हैं. राज्यों में कितने अपराधी एक्टिव हैं, उनके नाम-पते के अलावा उनके फिंगर प्रिंट NAFIS में अपलोड किए गए हैं. इससे अपराधियों की शिनाख्त करने में आसानी होती है.
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का आतंक है. नक्सलियों पर लगातार एक्शन लेकर राज्य सरकार उनको पीछे ढकेल रही है. इसके अलावा प्रदेश में धर्मांतरण, गौ तस्करी की घटनाएं हो रही हैं. पिछले दिनों गौ सेवक की तस्करों ने कवर्धा में गला रेत कर हत्या कर दी. इसका पैटर्न ISIS जैसा था.
इसकी जानकारी होने पर कवर्धा पुलिस ने फरवरी माह में एक्शन लिया और तस्करों को पकड़ा. आरोपियों पर UAPA के तहत कार्रवाई की गई है. इसी घटना के बाद राज्य सरकार ने SIA बनाने का निर्णय लिया. इसका मकसद है कि टीम अलर्ट मोड पर रहकर त्वरित और सख्त एक्शन लेगी.
नक्सलियों के खिलाफ जांच करने के लिए पुलिस ने एक अलग टीम बनाई है. इस टीम को नक्सल DG लीड कर रहे है. हालांकि नक्सलियों के थिंक टैंक के खिलाफ सख्त एक्शन नहीं हो पा रही है. ऐसे में थिंक टैंक का पता लगाने और एक्शन लेने की जिम्मेदारी SIA की होगी.
यह टीम छत्तीसगढ़ के अलावा पड़ोसी राज्यों में बैठकर लाल सलाम को बढ़ावा दे रहे लोगों पर भी नजर रखेगी. उनके खिलाफ साक्ष्य इकट्ठा करेंगे और एक्शन लेंगे. नक्सल एक्शन पर पुलिस की नक्सल विंग और SIA की टीम समानांतर जांच करेगी और एक दूसरे की मदद करके एक्शन लेगी.
SIA को जांच करने के लिए प्रदेश के SP और संबंधित थाना प्रभारी को सूचना नहीं देनी होगी. टीम के सदस्य किसी भी जिले में एक्शन ले सकेंगे और कार्रवाई के बाद संबंधित से जानकारी साझा करेंगे. SIA की टीम केवल हाई प्रोफाइल मामलों में जांच करेगी.
प्रदेश में अभी NIA, ATS की टीम है. NIA की टीम केंद्रीय गृह मंत्रालय से निर्देश आने के बाद मामलों मे जांच शुरू करती है. वहीं ATS राज्य में हो रहे हाई प्रोफाइल मामले (आतंकी कनेक्शन, मनी लॉन्ड्रिंग, हाई प्रोफाइल मर्डर) की जांच करती है. SIA की टीम नक्सली, धर्मांतरण एवं संदिग्ध मामलों की जांच करेगी.
2017 में NIA का कार्यालय रायपुर के खनिज नगर इलाके मे खुला था. इस कार्यालय को अस्थाई तौर पर खोला गया था. अगस्त 2022 में अटल नगर के सेक्टर-24 में केंद्रीय गृह मंत्री ने नए दफ्तर का उद्घाटन किया था. NIA की नई बिल्डिंग सेक्टर- 24 में सवा एकड़ जमीन में बनाई गई है.
इस दौरान अमित शाह ने 2024 तक देश भर में NIA के विस्तार का दावा किया था. NIA ने छत्तीसगढ़ के झीरम हत्याकांड की जांच की है. NIA आतंकी घटनाओं के अलावा, टेरर फंडिंग और आतंक से जुड़ी गतिविधियों की जांच करती है.
छत्तीसगढ़ में अभी ये एजेंसियां काम कर रहीं
- NIA : इसका काम देश में आतंकवादी गतिविधियों को रोकना और भारत में आतंकवाद को समाप्त करना है. भारत सरकार से इस संस्था को कई विशेष अधिकार मिले हुए हैं. इसमें, आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने वाले लोगों पर ठोस कार्यवाही करके उनकी सम्पति तक सीज करना और उस व्यक्ति या संगठन को आतंकवादी घोषित करना है.
- ATS :आतंकी समुदाय से कनेक्शन रखने वालों की ATS जांच करती है. छत्तीसगढ़ में ATS का ऑफिशियल गठन 2017 में किया गया था. इससे पहले मौखिक आदेश पर ATS चल रही थी. ATS को नौ तरह के संगठित अपराधों के भी जांच की जिम्मेदारी DGP या कोर्ट सौंप सकता है.
- इसमें नकली/जाली नोट, डकैती, हवाला, हथियारों की तस्करी, नागरिकता, पासपोर्ट और वीजा जारी करने में धोखाधड़ी, साइबर क्राइम, नारकोटिक्स, जबरिया वसूली व मानव अंगों की तस्करी के मामले शामिल हैं। प्रदेश में ATS की टीम ने अब तक रायपुर के राजा तालाब इलाके में जांच की है. इस जांच में आतंकी कनेक्शन के मामले में आरोपियों को पकड़ा था.
- SIA : इस टीम की स्थापना का आदेश 2 दिन पहले कैबिनेट बैठक में जारी हुआ है. यह टीम NIA और ATS के तर्ज पर प्रदेश में कहीं भी जांच कर सकेगी. इस टीम का दायरा नहीं है. टीम को तकनीकी से दक्ष किया जाएगा. टीम मामले की जांच करेगी, उसका चालान पेश करेगी और केस चलने तक लगातार मामले में एक्टिव रहेगी.
- ACCU : क्राइम ब्रांच की तर्ज पर पूर्व सरकार ने ACCU एजेंसी का गठन किया था. छत्तीसगढ़ से क्राइम ब्रांच भंग होने के बाद ये एजेंसी अस्तित्व में आई थी. ACCU की टीम का जिले में घटित हो चुके आपराधिक मामलों की जांच में दखल होता है.
- ये टीम थानों की पुलिस के समानांतर काम करती है. प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों से आरोपियों को पकड़कर लाती है और केस सॉल्व करती है. थाना क्षेत्र में घटित होने वाले अधिकांश अपराध इसी जांच एजेंसी के द्वारा साल्व किए जाते है. यह टीम जिले के मामलों की जांच करती है.
- साइबर रेंज थाना : छत्तीसगढ़ में साइबर रेंज थाना कांग्रेस सरकार में 8 अगस्त 2023 को अस्तित्व में आया है. साइबर फ्रॉड के बड़े मामलों को सॉल्व करने के लिए इस टीम का गठन किया गया है. जिस थाना क्षेत्र में अपराध घटित होगा, वहां के अफसरों से कोऑर्डिनेट कर मामलों की जांच करवाएगी और केस को साल्व करने का प्रयास करती है.
- पुलिस : जिले के अपराधियों पर नियंत्रण लगाने के लिए इन्हें नियुक्त किया जाता है. लॉ एंड ऑर्डर के अलावा ट्रैफिक व्यवस्था भी संभालते हैं. जिले में थाना सीमा बांट कर ये एजेंसी अलग-अलग जांच करती है. इनकी जांच थाना क्षेत्र तक सीमित रहती है. जिले में कोऑर्डिनेट करके शांति व्यवस्था बनाए रखने की ये कोशिश करते है. हर तरह के मामलों की जांच करते है.