रजिस्ट्री कराने के लिए ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट लेने में हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए अब नया नियम लागू कर दिया गया है. किसी भी तरह की रजिस्ट्री की कुल कीमत की 5 फीसदी रकम की स्टांप ड्यूटी पहले जमा करानी होगी. उसके बाद ही रजिस्ट्री के लिए अप्वाइंटमेंट मिलेगा. इसके अलावा कोई अगर ई-स्टॉप खरीदता है तो उस स्टांप के नंबर की इंट्री ऑनलाइन करनी होगी.
इतना ही नहीं नए नियम में वसीयत, लीज या डीड के नाम पर अप्वाइंटमेंट लेकर उसे बाद में जमीन की रजिस्ट्री में बदला नहीं जा सकेगा. यानी जिसके लिए अप्वाइंटमेंट लिया जा रहा है वही काम करना होगा. अब तक लोग अलग-अलग कारण लिखकर अप्वाइंटमेंट लेने के बाद रजिस्ट्री करवा लेते थे. इससे रजिस्ट्री की वेटिंग लिस्ट वालों का इंतजार बढ़ जाता था.
राज्य शासन के इस फैसले से प्रशासनिक अमले को राहत मिली है. छत्तीसगढ़ पंजीयन एवं मुद्रांक कार्यपालिक अधिकारी कर्मचारी कल्याण संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र श्रीवास और उपाध्यक्ष मंजूषा मिश्रा ने बताया कि नए NGDRS सिस्टम से अप्वाइंटमेंट कोई भी आम आदमी भी ले सकता है. इसमें पंजीयन विभाग की कोई भूमिका नहीं होती है. अफसर इसमें कुछ कर सकते हैं, ऐसा कहकर कोई फर्जीवाड़ा करता है तो उससे बचें. बार-बार यह शिकायत मिल रही थी कि रजिस्ट्री के अपॉइंटमेंट को लेकर कृत्रिम संकट पैदा किया जा रहा है. इसलिए इस पूरे सिस्टम को बदला गया है. इसके लिए पंजीयन विभाग के सचिव की विशेष भूमिका है.
ऑनलाइन अपॉइंटमेंट पर भले ही सख्ती शुरू हो गई है. लेकिन रजिस्ट्री के नए सिस्टम में अभी भी कई खामियां हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि रजिस्ट्री कराने से पहले सभी दस्तावेजों को अपलोड करवाना बेहतर था, लेकिन नए सिस्टम में यह नहीं हो रहा है. अभी कई बार ऐसा होता है कि एक ही रजिस्ट्री से कई बैंकों में लोन ले लिया जाता है. इसके लिए रजिस्ट्री के पेजों की नंबरिंग के साथ ही हर पेज में एक बार कोड होना चाहिए. इससे कोई भी एक रजिस्ट्री से कई बैंकों में एक साथ लोन नहीं ले पाएगा. क्योंकि जैसे ही बारकोड स्कैन होगा उस रजिस्ट्री की पूरी जानकारी एक क्लिक पर मिल जाएगी. मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में रजिस्ट्री से संबंधित सभी काम ऑनलाइन हो गए हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ में अभी भी नकल या दूसरे काम ऑनलाइन नहीं हो पाए हैं. इस वजह से भी दिक्कत हो रही है.