अस्पताल में तीनों मृतकों का रिकॉर्ड भी गायब है. उनका नाम, पता उम्र यहां तक कि ये भी पता नहीं है कि तीनों पुरुष है या महिला? अस्पताल में उन्हें कब और किसने भर्ती कराया? ये भी रिकॉर्ड में नहीं है. उनकी धर्म जाति तक पता नहीं है. कोरोना की दहशत के चलते किसी ने उनका फोटो तक नहीं खींचा है. मौत के बाद शव को पीपीई किट में पैक कर मॉर्चुरी में रखवा दिया गया. हालांकि मॉर्चुरी के कर्मचारियों का कहना है कि तीनों युवक है.
कोरोना की पहली लहर मतलब 4 साल पहले अंबेडकर अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ने वाले तीन अज्ञात शव आज भी वहां की मॉर्चुरी में रखे हुए हैं. इन्हें ऐसे ही पीपीई किट में लपेटकर बाहर रख देने के कारण अब लाशें सड़ गई हैं और सिर्फ हड्डियां बची हैं. सबसे आश्चर्यजनक है कि इस दौरान न तो इनकी पहचान के लिए कोई प्रयास किए गए और न ही इनका अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार क्यों नहीं हुआ इसका जवाब और चौंकाने वाला है. अस्पताल प्रबंधन कहता है कि कोरोना से मौत मामले में अंतिम संस्कार मजिस्ट्रेट के सामने ही होना है. हमने कई बार चिठ्ठी लिखकर समय मांगा, लेकिन कभी चुनाव तो कभी बैठक का हवाला देकर तारीख बढ़ाते रहे. इन तीनों शव के रिकाॅर्ड भी गायब हैं, इससे यह भी पता नहीं कि शव महिला के हैं या पुरुष के.
मीडिया की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि 2020 में जब कोरोना की पहली लहर का कहर फैला था, तब तीनों को इलाज के लिए अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनका कोविड वार्ड में इलाज किया गया. तीनों की अलग-अलग समय में मौत हो गई. उस समय कोरोना को लेकर इतनी दहशत थी कि कोई शव को छू भी नहीं रहा था उनका चेहरा तक नहीं देख रहा था इसलिए तीनों की मौत के बाद उनके शव तुरंत पीपीई किट में पैक कर मॉर्चुरी में रखवा दिए, क्योंकि उनके कोई परिजन सामने नहीं आए थे. परिजनों के इंतजार में शव वहीं मॉर्चुरी में पड़ा रहा.
इस बीच कोरोना की दूसरी लहर में इतनी मौतें बढ़ीं कि मॉर्चुरी में शव रखने की जगह तक नहीं बची. लाशों की संख्या बढ़ने पर तीनों शवों को मॉर्चुरी के पीछे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया. वहां एक किनारे में स्ट्रेचर पर शव रख दिए गए. उसके बाद से किसी ने उनकी सुध तक नहीं ली. न किसी ने पीपीई कीट खोलकर देखा. इस बीच उसमें कीड़ा लग गए और 4 साल में शव कंकाल में तब्दील हो गया है. अस्पताल के उस हिस्से में धूल जम गई और मकड़ी के जाल बन गए हैं. पिछले माह से पुरानी मॉर्चुरी तोड़कर नई बनाने का काम शुरू हुआ. तब तीनों शव को वहां से हटाकर दूसरे कमरे में रखा गया. इससे पूरा मामला सामने आया.
अंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने जिला प्रशासन रायपुर को मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए पहली चिट्ठी 2020 अगस्त में लिखी थी. फिर दूसरी चिट्ठी 2021 में लिखी गई. इसी तरह पिछले साल 4 अक्टूबर को फिर चिट्ठी लिखी और जनवरी में आखिरी चिट्ठी लिखी गई है. इसमें लिखा है कि- कोविड शव परीक्षण कक्ष में अज्ञात मरीजों का शव कोविड के समय से रखा है. अज्ञात होने के कारण इन शवों की शिनाख्त एवं अंतिम संस्कार भी नहीं हो पा रहा है. अत: उक्त अज्ञात शव का नियमानुसार अंतिम संस्कार/दाहसंस्कार करवाने की कार्रवाई करें.
सीधी बात -रिकॉर्ड पता करवा रहे हैं
एसबीएस नेताम, अधीक्षक अंबेडकर अस्पताल
सवाल- कोरोना से मृत 3 मरीजों का शव अब तक रखा है? जवाब- प्रशासन को अंतिम संस्कार के लिए चिट्ठी लिखी है. सवाल- अब तक अंतिम संस्कार क्यों नहीं किया गया है? जवाब- कोविड से मौतें, मजिस्ट्रेट के सामने अंतिम संस्कार. सवाल- मजिस्ट्रेट के पास समय नहीं है क्या? जवाब- अस्पताल से तो चिट्ठी लिख दी गई है. सवाल- कब होगा तीनों का अंतिम संस्कार? जवाब- प्रशासन की अनुमति मिलते ही कर दिया जाएगा. सवाल- तीनों का अस्पताल के पास कोई रिकॉर्ड है? जवाब- तीनों का रिकॉर्ड ढुंढवाना पड़ेगा?
कोरोना से मरने वाले मरीजों का शव मॉर्चुरी में रखा जाता था. उनका पोस्टमार्टम नहीं होता है. जिनके परिजन आते थे, उन्हें शव सौंप दिया जाता था. बाकी मृतकों का अंतिम संस्कार प्रशासन करवाता है.-स्निग्धा जैन बंसल, एचओडी फोरेंसिक विभाग
मैंने हाल ही में ज्वॉइन किया है. कोरोना से मरने वाले तीन शव के संबंध में जानकारी लेता हूं. अगर अंतिम संस्कार नहीं हुआ तो तीन-चार दिन के भीतर विधि पूर्वक अंतिम संस्कार कराया जाएगा. -देवेंद्र पटेल, एडीएम रायपुर