राजधानी रायपुर समेत आसपास के जिलों में अब नियम-कायदों से बाइक टैक्सी चलेंगी. पहले बिना परमिट-रजिस्ट्रेशन के कोई भी बाइक-टैक्सी चलाने के साथ ही यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जाता था. इससे कई बार विवाद की स्थिति उत्पन्न होती थी.
लगातार मिल रही शिकायतों के बाद परिवहन विभाग ने बाइक टैक्सी संचालकों की मनमानी पर रोक लगाने नई गाइड लाइन तय करने का फैसला लिया है. अब बाइक टैक्सी वालों के लिए भी नियम-कायदे तय किए जाएंगे. इन्हें भी परिवहन विभाग से परमिट-रजिस्ट्रेशन कराना होगा. केंद्रीय परिवहन विभाग ने बाइक टैक्सी के लिए स्थानीय परिवहन विभाग से परमिट लेना अनिवार्य कर दिया है. इनके लिए कई तरह की गाइडलाइन तय की गई है, जैसे बाइक टैक्सी चलाने वाले को पुलिस वेरीफिकेशन कराना होगा.
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वाहन अधिनियम की धारा 2/28 के अनुसार ऐसे वाहन जो चारपहिया नहीं हैं और उनका इंजन 25 सीसी से ज्यादा क्षमता वाला है, उन्हें बाइक टैक्सी का परमिट जारी किया जाएगा. दोपहिया वाहनों को पंजीकृत तरीके से ठेके पर लेकर किराए की गाड़ी के रूप में चलाने के लिए विभाग से परमिट लेना अनिवार्य है. सार्वजनिक परिवहन के वैकल्पिक विकल्प के रूप में शर्तों के साथ बाइक टैक्सी को मंजूरी दे दी है. इस संबंध में विस्तृत पॉलिसी राज्य के परिवहन विभाग को जारी करने के निर्देश दिए गए हैं.
बाइक टैक्सी परमिट और रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था होने से शहर में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. युवाओं को अपनी बाइक किसी बाइक टैक्सी वाले एजेंसी में लगाने का मौका मिलेगा. इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर बाइक टैक्सी की सुविधा देने वाली अपनी कंपनी शुरू कर सकेंगे. वर्तमान में शहर समेत कई जिलों में केवल ओला, उबैर, रैपिडो के नाम से बाइक टैक्सी चल रही है.
ओला, उबर एवं रैपिडो बाइक टैक्सी मुहैया वाले अपनी बाइक में एंड्रायड एप के माध्यम से सर्विस उपलब्ध करवा रहे हैं. शहर में करीब 900 बाइक टैक्सियां हैं. इनमें से अधिकांश बाइक टैक्सी ड्राइवरों का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं हुआ है.
शहर में आबादी बढ़ने और सड़कों की चौड़ाई कम होने के चलते चौपहिया वाहनों की अपेक्षा बाइक टैक्सी बेहतर परिवहन सुविधा के रूप में सामने आया है. इसमें किराया भी कम होता है. टैक्सी या सवारी ऑटो के मुकाबले बाइक टैक्सी का किराया कम है, हालांकि ईवी, ऑटो रिक्शा से ज्यादा है. वर्तमान में बाइक टैक्सी 6 किमी का 40 से 45 रुपए ले रहे हैं. शहर में हर क्षेत्र में आसानी से पहुंचने की वजह से एक सवारी के लिए यह काफी सस्ता और सुविधाजनक है.
बाइक किसी और की है, उसे चलाता कोई और है. ड्राइवर का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं होना, मनमाना किराया वसूलना, बाइक टैक्सी की संख्या तय नहीं, मानीटरिंग का कोई सिस्टम नहीं है.
परिवहन आयुक्त डी.रविशंकर ने कहा, केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के निर्देश पर बाइक टैक्सी के लिए पॉलिसी बना रहे हैं. अभी केवल कमर्शियल परमिट में बाइक टैक्सियां चल रही हैं, जिन्होंने परमिट नहीं लिया उन पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी.