MBBS में एडमिशन प्रक्रिया नियमों में उलझकर रह गई है. चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बीती देर रात MBBS की संशोधित आवंटन सूची जारी कर दी. इस सूची में पहले से प्रवेशित 200 से ज्यादा छात्राओं की कैटेगरी बदल दी गई है. अब कॉलेजों से कहा गया है कि इन छात्राओं को बुलाकर रिलीव करें, फिर इन्हें दाेबारा एडमिशन दें. गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग में काउंसिलिंग कमेटी, NIC के प्रतिनिधि व मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन से जुड़े अधिकारी शामिल हुए.
ऐसा नियम पहली बार लागू किया गया है, जिसमें प्रवेशित छात्राओं की कैटेगरी बदलकर उन्हें फिर से एडमिशन देने को कहा गया है. MBBS की सेकंड राउंड की काउंसिलिंग विवादों में आ गई है. बुधवार को प्रवेशित छात्रों के नाम आवंटन सूची में देने के बाद चिकित्सा विभाग ने इस सूची को रद्द कर दिया. इसे रद्द करने के बाद संशोधित आवंटन सूची जारी की गई.
इसमें भी पहले से प्रवेशित छात्रों के नाम है. काउंसिलिंग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जिन्होंने अपग्रेडेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था, उनका नाम आवंटन सूची में है. हालांकि गौर करने वाली बात ये है कि रायपुर में भी ऐसे छात्रों के नाम सूची में है, जिन्होंने अपग्रेडेशन के लिए कोई आवेदन ही नहीं किया था. रायपुर का कोई छात्र कभी भी अपग्रेडेशन के लिए आवेदन नहीं करता, क्योंकि टॉपर सबसे पहले इसी कॉलेज में एडमिशन लेते हैं. ऐसे में काउंसिलिंग कमेटी के अधिकारियों की बात गले नहीं उतर रही है.
केटेगरी बदलने के कारण नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में 8 छात्राओं को रिलीव कर फिर से एडमिशन दिया जाएगा. इसके लिए छात्राओं को कॉल कर बुलाया जाएगा. बाकी कॉलेजों को भी ऐसे ही निर्देश दिए गए हैं.
काउंसिलिंग से जुड़े अधिकारियों का दावा है कि महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण के कारण छात्राओं की कैटेगरी बदल गई है. पहले वे मेल या फीमेल या दोनों केटेगरी में प्रवेश लिए होंगे, लेकिन 33 फीसदी आरक्षण के बाद उनकी कैटेगरी बदल गई है. ऐसे में कई कम रैंक वाली छात्राओं को भी एडमिशन मिल गया है, जो कि आरक्षण के कारण हुआ है. जानकारों का कहना है कि एक बार प्रवेशित छात्राओं की कैटेगरी कभी नहीं बदलती. बुधवार काे एक भी एडमिशन नहीं होने के कारण अब छात्र 24 सितंबर तक एडमिशन ले सकेंगे. इसके बाद खाली सीटों को भरने के लिए मापअप व स्ट्रे वेकेंसी राउंड होगा.
MBBS में प्रवेश के लिए महज 8 दिन बाकी है. 30 सितंबर तक प्रवेश नहीं लेने पर बाकी सीटें लैप्स हो जाएंगी. 24 सितंबर तक दूसरा राउंड पूरा होगा. इसके बाद दो राउंड और होना है, जिसे 6 दिनों में पूरा करना होगा. सामान्यत: MBBS की सीटें लैप्स नहीं होतीं, लेकिन पिछले साल सरकारी कॉलेजों की सीटें लैप्स होने से सवाल उठे थे. ऑल इंडिया व सेंट्रल पुल की सीटें नहीं भर पाई थीं. जबकि निजी काॅलेजों में एक भी सीट खाली नहीं रही थी.