बिलासपुर जिले में कांग्रेस नेता अकबर खान समेत 3 के खिलाफ पुलिस ने जमीन विवाद में आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है. इस केस में हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बाद पुलिस ने एक्शन लिया है. हालांकि अभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की गई है. पूरा मामला सकरी थाना क्षेत्र का है.
जानकारी के मुताबिक, सिविल लाइन थाना क्षेत्र के कुम्हारपारा निवासी वीरेंद्र नागवंशी के बेटे सिद्धांत ने करीब 2 साल पहले सकरी क्षेत्र में सुसाइड कर लिया था. बेटे की आत्महत्या के मामले में पिता वीरेंद्र ने प्रताड़ना का आरोप लगाया था.
उनका कहना था कि जमीन खरीद-बिक्री के विवाद में उनके बेटे का नाम घसीटकर प्रताड़ित किया जा रहा था, जिससे तंग आकर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तब उन्होंने न्याय के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई है, जिसकी सुनवाई चल रही है.
बीते 13 दिसंबर को इस केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रशिक्षु IPS और सिविल लाइन CSP संदीप पटेल को अपराध दर्ज करने के सख्त निर्देश दिए थे. कोर्ट ने पूछा था कि सिद्धांत केवल कर्मचारी था, तो उसके नाम पर जमीन की खरीद-बिक्री क्यों हो रही थी. उसके पास अगर इतने रुपए थे, तो वह अकबर खान का कर्मचारी बनकर क्यों काम कर रहा था. उस दौरान पुलिस मामले में स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई थी.
हाईकोर्ट की सख्ती और फटकार के बाद सकरी पुलिस ने सिद्धांत के पिता वीरेन्द्र नागवंशी और मां अरुणा नागवंशी को थाने बुलाया और बयान दर्ज करने के बाद देवनंदन नगर फेज-1 निवासी कांग्रेस नेता अकबर खान, तिफरा निवासी मीनाक्षी बंजारे और शिबू उर्फ फैजान खान के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में धारा 306, 34 के तहत अपराध दर्ज कर लिया है.
पुलिस के अनुसार 11 जनवरी 2022 को कुम्हारपारा निवासी सिद्धांत (25) ने उसलापुर की गीतांजलि सिटी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. सिद्धांत के आत्महत्या मामले में पिता वीरेन्द्र और माता अरुणा नागवंशी ने कांग्रेस नेता अकबर खान, जमीन मालिक मीनाक्षी बंजारी, शिबू उर्फ फैजान खान, दिपेश चौकसे और अन्य पर सिद्धांत को प्रताड़ित करने और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था.
22 महीनों तक थानों और पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटने के बाद भी पिता वीरेंद्र और माता अरुणा की कोई सुनवाई नहीं हुई, तब उन्होंने परेशान होकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें दोषियों को सजा दिलाने की मांग की गई है.
आखिरकार हाईकोर्ट के निर्देश पर पुलिस ने इस केस में आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध दर्ज कर लिया है. इसमें पुलिस ने कांग्रेस नेता समेत 3 को आरोपी बनाया है. पुलिस अधिकारियों का दावा है कि जांच के बाद अन्य की संलिप्तता पाए जाने पर अपराध तय किया जाएगा. लेकिन, पुलिस की इस कार्रवाई पर पिता वीरेंद्र नागवंशी ने सवाल उठाया है.
उनका कहना है कि हाईकोर्ट ने केस में कांग्रेस नेता अकबर, दीपेश चौकसे, तय्यब हुसैन, जमीन मालिक मीनाक्षी बंजारे, वसीन के साथ शिबू उर्फ फैजान खान पर केस दर्ज करने के निर्देश दिए थे. आत्महत्या के लिए इन सभी की बराबर की भूमिका थी. इसके बावजूद पुलिस केस के रसूखदार आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया है. हालांकि, अभी कोर्ट में केस की सुनवाई चल रही है और पुलिस को मामले में जवाब भी देना है.
कुम्हारपारा निवासी सिद्धांत नागवंशी C.V. रमन विश्वविद्यालय का छात्र था. परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से सिद्धांत कांग्रेस नेता अकबर खान के पास नौकरी मांगने गया था. तब उसने सिद्धांत को रेलवे स्टेशन पर सफाई कार्य के लिए रखा था. बाद में उसकी अच्छी पढ़ाई और काम को देखकर अबकर ने उसे अपनी जमीन खरीद-बिक्री का काम सौंप दिया.
परिजन के अनुसार अकबर खान और दीपेश चौकसे के कहने पर सिद्धांत नागवंशी और पंकज रेड्डी के बीच जैबक चाल स्थित विवादित जमीन का सौदा मीनाक्षी बंजारे ने अपनी जमीन बताकर करवाया था. सिद्धांत ने मीनाक्षी बंजारे को 30 लाख रुपए दिए थे. बाद में जमीन का विवाद नहीं सुलझने पर अकबर खान, दीपेश चौकसे और अन्य ने सिद्धांत पर मीनाक्षी को दिए रुपए वापस मांगने के लिए दबाव बनाने लगे. जबकि मीनाक्षी ने रुपए लौटाने से इनकार कर दिया. जिसके बाद सिद्धांत को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा.
इस केस की पिछली सुनवाई जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में हुई. इस दौरान FIR दर्ज नहीं करने पर जस्स्टिस व्यास ने IPS संदीप पटेल पर कड़ी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि पुलिस की जांच स्पष्ट नहीं है. अकबर खान को क्यों क्लीन चिट दी गई, कोई पॉलिटिकल प्रेशर था क्या ? कोर्ट ने यहां तक कहा कि हमें मत बुलवाइए, कुछ लिख देंगे तो दिक्कत हो जाएगी.