छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) में चल रहे विवाद के बीच भूपेश सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला लिया है. अब CGPSC परीक्षा से जुड़े दस्तावेजों को दो साल तक नष्ट नहीं करेगा. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर शासन ने यह प्रस्ताव आयोग को भेजा है.
दरअसल, मध्य प्रदेश के समय से ही CGPSC के परीक्षा दस्तावेज नष्ट करने का सिलसिला चला आ रहा था. अगर प्रस्ताव पास होता है तो राज्य बनने के पहले से चली आ रही व्यवस्था में बदलाव हो सकता है. अभी तक CGPSC के दस्तावेजों को नष्ट करने का कोई तय समय नहीं है.
शासन की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के मुताबिक, CGPSC के दस्तावेज दो साल तक सुरक्षित रखे जाएंगे. इस प्रस्ताव के जरिए सरकार एक तरह से भरोसा दिलाने का प्रयास कर रही है कि अगर किसी तरह की कोई गड़बड़ी हुई है तो अभ्यर्थी के दस्तावेज सुरक्षित होंगे. उन्हें बतौर सबूत जांच में उपयोग किया जा सकेगा.
नोटिफिकेशन के बाद अगले सत्र से होगी व्यवस्था
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद जब इसका नोटिफिकेशन हो जाएगा, तब अगले सत्र से इसकी व्यवस्था होगी. यानी PSC की अगली भर्ती प्रक्रिया जब शुरू होगी, तब इस नियम को लागू किया जा सकेगा. इसका असर पिछली भर्ती प्रक्रिया पर नहीं पड़ेगा.
PSC इस समय चुनावी मुद्दा बन चुका है. हाईकोर्ट ने हाल ही में विधायक ननकी राम कंवर की याचिका को स्वीकार कर PSC को कड़ी फटकार लगाई थी. इससे पहले भी PSC के भर्ती विवादों में रही है. आम आदमी पार्टी ने भी रायपुर में इसे लेकर बड़ा प्रदर्शन किया था.
बड़ी बात कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी PSC के मुद्दे पर आक्रामक नजर आए हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर उनकी सरकार बनी, तो PSC घोटालों की जांच होगी. इसका अर्थ यह है कि सरकार PSC के मुद्दे को गंभीरता से लेना चाह रही है और युवाओं के प्रति गंभीर है.
PSC को लेकर आंदोलित छात्र वेद राजपूत का कहना है कि यह फैसला वैसा ही है जैसे PSC सवाल पूछती है. जो दबाव सरकार पर बना है उसको कम करने के लिए यह फैसला लिया गया है. अपने परिचित और रिश्तेदारों की नौकरी लगवाने के बाद यह फैसला ले रहे हैं. यह फैसला पहले हुआ होता तो अभ्यर्थियों को लाभ मिलता.
कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर बोले- PSC संस्थान की विश्वसनीयता बचाए रखने के लिए यह बड़ा फैसला लिया गया है. पूर्व रमन सरकार में जो गड़बड़ियां हुईं थीं उसकी वजह से PSC की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे थे. युवाओं के भरोसे को बराकर रखने के लिए यह प्रस्ताव दिया गया है.
वहीं भाजपा नेता उज्जवल दीपक ने कहा कि, आखिर इस भ्रष्ट कांग्रेस को इतना जल्दी क्या है इस निर्णय को लेने की, यह समझ से परे है. अगर निर्णय लेना भी है, तो मात्र 2 साल की अवधि क्यों? 2019 से लेकर 2023 तक के समस्त दस्तावेजों को संभाल कर रखा जाना चाहिए. केवल उत्तर पुस्तिका ही नहीं, दावा आपत्ति, लोगों के फॉर्म, इंटरव्यू बोर्ड के फैसले, कौन-कौन उनमें शामिल था, संभाल कर रखे जाने चाहिए.