भिलाई की एक सामाजिक संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ओटीटी प्लेटफार्म की वेब सीरीज पर सेंसर लगाने की मांग की है. संस्था का कहना है कि वेब सीरीज के साथ-साथ बॉलीवुड फिल्मों में खुलेआम अश्लील शब्दों का प्रयोग किया जाता है. ऐसी फिल्में पारिवारिक माहौल और आने वाली युवा पीढ़ी के लिए सही नहीं हैं. इस पर रोक लगनी चाहिए.
संस्था की सदस्य सोनाली चक्रवर्ती ने बताया कि जब आप और हम घर में बैठकर OTT प्लेटफॉर्म पर कोई वेब सीरीज देखते हैं या बॉलीवुड की कोई फिल्म देख रहे होते हैं, तो उन फिल्मों में अपशब्द और गालियों की भरमार होती है. जिसको लेकर अब दुर्ग जिले की महिलाओं ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इन गालियों पर बैन लगाने की बात कही है.
दुर्ग जिले के स्वयं सिद्धा महिला समूह की 100 से अधिक महिलाओं ने मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि फिल्में समाज का आइना होती हैं. इन फिल्मों को परिवार के सभी लोग एक साथ बैठकर देखते हैं. इसी बीच जब किसी तरह का कोई अपशब्द का डायलॉग आता है तो उस समय महिलाओं को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. उस वक्त सभी काफी असहज हो जाते हैं.
समाजिक कार्यकर्ता सोनाली चक्रवर्ती का कहना है कि OTT में सेंसर बोर्ड नहीं है. इसके बाद भी ये प्लेटफार्म बिना किसी रोक के मोबाइल से लेकर TV पर उपलब्ध है. हमने अपनी चिट्ठी में यह मांग रखी है कि OTT की वेब सीरीज मोबाइल के द्वारा बच्चों के दिमाग में सीधा असर डालती हैं. वेब सीरीज को लेकर फिल्मों से भी ज्यादा कड़े सेंसर बोर्ड के नियमों को लागू करने की जरूरत है.
सोनाली चक्रवर्ती ने बताया कि सभी महिलाओं की ओर से उनकी समाजिक संस्था ने 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर ये मांग की है. उन्होंने कहा कि इस देश में स्त्री सम्मान और स्त्री सुरक्षा की जो बात होती है, वह पहले भाषा से शुरू होती है. शब्दों से शुरू होती है.
उसके बाद भी फिल्मों में गलियों का उपयोग, महिलाओं के प्रति अपशब्दों का उपयोग करना यह साबित करता है कि उनके दिमाग में महिलाओं के प्रति कोई सम्मान नहीं है. इसलिए इस पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है.