केंद्र ने BSP के अधिकारियों और कर्मचारियों को आवास सुविधा में बड़ी राहत दी है. शहर की कैटेगरी को रिवाइज किया गया है. इसका सीधा लाभ टाउनशिप के लोगों को मिलेगा. साथ में आवास सुविधा के एवज में वसूले जाने वाले टैक्स (परक्यूजित दर) में 2.5% की छूट दी गई है. इससे कार्मिकों को प्रत्येक वर्ष 25 हजार से 55 हजार तक की बचत होगी.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने दो दिन पहले 19 अगस्त को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSU) के आवासों को लेकर महत्वपूर्ण सर्कुलर जारी किया है. सर्कुलर में जिन शहरों में कंपनी के संयंत्र हैं, उसकी कैटेगरी को रिवाइज किया है. साथ ही आवास सुविधा के एवज में वसूले जाने वाले टैक्स को भी रिवाइज कर दिया है.
BSP भिलाई शहर अंतर्गत है. इसकी जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार 10 लाख के अंदर थी. लिहाजा शहर को C कैटेगरी में रखा गया. इसके आधार पर BSP कार्मिकों से ग्रास सैलरी का 7.50% टैक्स आवास सुविधा के एवज में वसूला जा रहा था.
लेकिन केंद्र ने शहरों की केटेगरी को रिवाइज करते हुए अब 15 लाख जनसंख्या वाले शहर को भी C केटेगरी में शामिल कर दिया है. जिसके कारण भिलाई की जनसंख्या में वृद्धि के बाद भी केटेगरी में बदलाव नहीं हुआ. इसी तरह टैक्स को भी रिवाइज करने के बाद BSP कार्मिकों से अब 7.50% की जगह 5% के हिसाब से टैक्स लिया जाएगा. जिसके बाद कार्मिकों को 25 हजार से 55 हजार कम टैक्स देना होगा.
इसके अलावा मामले में एक और विसंगति है जिसे दूर किए जाने की जरूरत है. मसलन समान कैटेगरी के आवास अलग-अलग ग्रेड के कार्मिकों को अलॉट किया जाता है. उस स्थिति में केंद्र दोनों से समान टैक्स वसूलने की बजाए जूनियर कार्मिक से कम और सीनियर से अधिक टैक्स वसूल रही है. फिर भले ही दोनों कैटेगरी के कार्मिकों को आवास में समान सुविधाएं क्यों न दी जा रही हो.
कार्मिकों का कहना है कि आवास सुविधा के एवज में उनके द्वारा जो टैक्स वसूला जा रहा है, उसे और भी कम किया जा सकता है. उसके लिए उन्होंने थर्ड पार्टी से वसूले जाने वाले किराए को आधार बताया. उनका कहना है कि उसी किराए से कार्मिकों से टैक्स लिया जाए तो उनके द्वारा भुगतान किए जाने वाली राशि घटकर और भी कम हो जाएगी.
केंद्र द्वारा आवास के एवज में वसूले जाने वाले टैक्स को रिवाइज किए जाने से BSP को भी राहत मिलेगी. क्योंकि एक समय के बाद कार्मिकों के द्वारा भुगतान किए जाने वाले टैक्स का आधा हिस्सा खुद वहन कर रही थी यानि कार्मिक टैक्स का भुगतान तो पहले कर देता है. उसके बाद उसकी 50% राशि BSP कार्मिकों को लौटा देती है.
बीएसपी टाउनशिप में प्रबंधन द्वारा कार्मिकों को बहुत ही कम किराए में आवास की सुविधा मुहैया करा रहा था. इसे लेकर किसी तरह की कोई गाइडलाइन नहीं थी. लिहाजा कंपनियां अपने-अपने हिसाब से किराया वसूल रही थी. बाद में केंद्र ने कार्मिकों को नाममात्र किराए पर आवास उपलब्ध कराए जाने को सुविधा मानते हुए पर्क्स के दायरे में लाते हुए ग्रास सैलरी से टैक्स वसूलना शुरू किया.
सेफी चेयरमैन और बीएसपी ओए अध्यक्ष नरेंद्र बंछोर के मुताबिक संगठन की मांग है कि आवास सुविधा के नाम पर वसूला जा रहा टैक्स पूरी तरह से समाप्त किया जाए. इस मुद्दे पर NIC और NCOA की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में रखा जा चुका है. जब तक टैक्स मुक्त नहीं कर दिया जाता उनका संगठन संघर्ष जारी रखेगा.