राजधानी रायपुर में डेंगू के इलाज में बड़ा फर्जीवाड़ा फूटा है. पिछले महीने जब तेजी से वायरल फीवर फैल रहा था तब शहर और आउटर के 25 से ज्यादा अस्पतालों में फीवर के 220 मरीजों को डेंगू पीड़ित बताकर भर्ती कर लिया. फिर आयुष्मान योजना के तहत 35-35 हजार के हिसाब से स्वास्थ्य विभाग से 77 लाख का क्लेम मांग लिया.
क्लेम देने के पहले स्वास्थ्य विभाग ने उन अस्पतालों से मरीजों की अलाइजा टेस्ट रिपोर्ट मांगी तब फर्जीवाड़ा सामने आया. किसी भी नर्सिंग होम के डॉक्टरों ने रिपोर्ट नहीं दी. स्वास्थ्य विभाग ने सच्चाई जाने के लिए जांच करवायी तो पता चला 220 में केवल 3 मरीजों का ही एलाइजा टेस्ट करवाया गया है. बाकी किसी का नहीं.
शक है कि केवल क्लेम पाने के लिए साधारण बुखार के मरीजों को गलत जानकारी देकर उन्हें भर्ती कर लिया. अब स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से 25 अस्पतालों को महामारी एक्ट के तहत नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस एक्ट के तहत गलत जानकारी देने या बीमारी को लेकर लापरवाही बरतने में एक माह तक की सजा का प्रावधान है. नोटिस में पूछा है कि उनकी ओर से मरीज को डेंगू की पुष्टि के लिए कौन सी जांच करवाई गई.
ये कहा गया है जांच रिपोर्ट में
- ज्यादातर अस्पताल में जिन मरीजों को डेंगू पीड़ित बताया गया उन्हें बिना मच्छरदानी रखा गया था.
- 25 नर्सिंग होम में 220 मरीजों का क्लेम किया गया था. उनमें केवल 3 का ही अलाइजा टेस्ट कराया गया था.
- 8 अस्पतालों ने तो एक भी मरीज का अलाइजा जांच के लिए एक भी मरीज का सिरम नहीं भेजा गया था.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की डेंगू को लेकर स्पष्ट गाइड लाइन है. उसके तहत एलाइजा टेस्ट के बिना किसी भी मरीज को डेंगू पीड़ित नहीं माना जा सकता. मरीज में डेंगू के लक्षण देखकर उसी गाइड लाइन से इलाज तो शुरू करना है, लेकिन इसी दौरान वायरोलॉजी लैब में एलाइजा टेस्ट करवाना जरूरी है. राजधानी में प्राइवेट नर्सिंग होम के संचालकों ने इसका पालन नहीं किया है.
डेंगू के इलाज में क्लेम का फर्जीवाड़ा मीडिया में उजागर हुआ था. कबीरनगर स्थित लालमती मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में एक साथ 14 मरीज भर्ती होने की सूचना स्वास्थ्य विभाग को दी गई थी. उस समय अंबेडकर अस्पताल में केवल दो-तीन मरीज भर्ती थे. एम्स जैसे बड़े संस्थान में तो एक भी मरीज का इलाज शुरू नहीं हुआ था. इसी से शक हुआ.
अस्पताल में पड़ताल किए जाने पर पता चला कि एक भी मरीज का एलाइजा टेस्ट नहीं करवाया गया है. उसी के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने वहां पहुंची तो एक भी मरीज भर्ती नहीं मिला. सभी को छुट्टी दे दी गई थी. मरीजों के इलाज की फाइल में डेंगू का न तो जिक्र था और न ही उसके लक्षण के अनुसार इलाज किया जा रहा था. उसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने बाकी अस्पतालों को जांच में लिया.
डेंगू के इलाज का क्लेम करने वाले अस्पतालों की सूची
आरोग्य अस्पताल, आरती मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, अग्रवाल अस्पताल, अवंति मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, बाबूजी केयर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, बालगोपाल चिल्ड्रन अस्पताल, बिहान अस्पताल, छत्तीसगढ़ डेंटल अस्पताल, छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, दीवान मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, एकत इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, गुडविल्स मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, एचएम मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, हैरिटेज अस्पताल, जय अंबे मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, जीवन अनमोल अस्पताल, लालमती मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल एवं डेंटल केयर, लक्ष्मी नारायण मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, महानदी हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, ममता स्मृति अस्पताल, मेड लाइफ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, एनकेडी हॉस्पिटल एवं मैटरनिटी सेंटर, ओम हॉस्पिटल, पांडे नर्सिंग होम, पेटल्स न्यू बोर्न एवं चिल्ड्रन हॉस्पिटल, रायपुर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, सागर मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, संजीवनी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल एवे इमरजेंसी केयर, श्री कल्याण मल्टी स्पेशलिटी, श्री विग्नेश हॉस्पिटल, श्री हरिकृष्ण हॉस्पिटल रायपुर, श्री वंश मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, श्री अमृथम सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, श्री नानक हॉस्पिटल, श्री राम शांति मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, श्री राम किंकर मेडिकल इंस्टीट्यूट, सोनी मल्टी स्पेशलिटी हाॅस्पिलटल मैटनिटी होम, स्वप्निल हॉस्पिटल, स्वास्थयम हॉस्पिटल, उपाध्याय हॉस्पिटल.