छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला मामले में आबकारी विभाग के निलंबित अफसर अरुणपति त्रिपाठी को बिलासपुर हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है. जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने उनकी जमानत याचिका को मंजूर किया है.
दरअसल, बुधवार को इस केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर गुरुवार को ऑर्डर जारी किया गया है.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब घोटाले मामले में मई 2023 में आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और शराब वितरण कंपनी CSMCLके पूर्व MD अरुण पति त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था. पूछताछ कर ED की विशेष अदालत ने जेल भेज दिया था.
अरुण पति त्रिपाठी ने अपने एडवोकेट के माध्यम से विशेष अदालत में जमानत अर्जी लगाई थी. जिसे खारिज कर दिया गया. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी जमानत याचिका दायर की थी. जिसमें राहत नहीं मिली, तब हाईकोर्ट में दोबारा जमानत अर्जी लगाई.
अरुण पति त्रिपाठी छत्तीसगढ़ सरकार के आबकारी विभाग के विशेष सचिव हैं. पहले वे छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के MD भी रहे हैं. एपी त्रिपाठी इंडियन टेलीकॉम के ऑफिसर हैं, जो डेपुटेशन पर छत्तीसगढ़ में कार्यरत हैं.
पहले छत्तीसगढ़ के दूरसंचार उद्योग में ग्राहक प्रति धारणा से संबंधित विषय को लेकर उन्होंने शोध किया था. जिसके बाद छत्तीसगढ़ के डॉक्टर सीवी रमन यूनिवर्सिटी की ओर से उन्हें PHD प्रदान की गई थी.
ED ने सबसे पहले मई के शुरुआती सप्ताह में अनवर ढेबर को अरेस्ट किया था. ED ने बताया था कि साल 2019 से 2022 तक 2000 करोड़ का अवैध धन शराब के काम से पैदा किया. इसे दुबई में अपने साथी विकास अग्रवाल के जरिए खपाया. ED की ओर से कहा गया कि अनवर ने अपने साथ जुड़े लोगों को परसेंटेज के मुताबिक पैसे बांटे और बाकी की बड़ी रकम अपने पॉलिटिकल मास्टर्स (राजनीतिक संरक्षकों) को दी है.
शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने कारोबारी अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी, नितेश पुरोहित, अरविंद सिंह, त्रिलोक ढिल्लन को गिरफ्तार किया था. इस केस में फिलहाल अनवर ढेबर को मेडिकल ग्राउंड्स पर अंतरिम जमानत पर छोड़ा गया है. वहीं, अन्य दो आरोपियों नितेश पुरोहित और त्रिलोक सिंह ढिल्लों भी अंतरिम बेल पर जेल से बाहर हैं.
इस केस की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट राजीव श्रीवास्तव व मतीन सिद्धिकी ने कोर्ट को बताया कि प्रकरण के 3 आरोपियों को अंतरिम जमानत दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने भी अंतरिम जमानत आदेश को जारी रखा है.
ऐसे में याचिकाकर्ता भी जमानत का हकदार है. उन्होंने यह भी बताया कि ED ने केस में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है और सभी तरह से पूछताछ भी हो चुकी है. ऐसे में याचिकाकर्ता पिछले 9 माह से जेल में है. सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज हाईकोर्ट ने जमानत याचिका को मंजूर करने का आदेश दिया है.
हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी ने जमानत की अनुमति देते हुए ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए 25 हजार रुपए व्यक्तिगत बांड जमा करने और जमानतदार प्रस्तुत करने की शर्त पर याचिकाकर्ता को रिहा करने का आदेश दिया है.