छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बिलासपुर में भाजपा नेताओं ने जीत का जश्न मनाया. सुशांत शुक्ला समर्थकों ने जहां बुलडोजर पर जुलूस निकाला. वहीं, अमर अग्रवाल की रैली में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. जिसके चलते शहर में जाम की स्थिति बनी रही. कोटा और मस्तूरी सीट पर जीत हासिल करने के बाद भी कांग्रेसियों में सरकार जाने की मायूसी छाई रही है और वो जीत का जश्न भी नहीं मना सके.
दरअसल, कोनी स्थित गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में मतगणना स्थल के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी. इसके बावजूद मतगणना का रूझान जानने के लिए कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ता व समर्थकों की भीड़ लगी थी. दोपहर बाद जैसे ही भाजपा को बहुमत के साथ बढ़त मिलने की खबर आई समर्थकों की भीड़ मतगणनास्थल पर पहुंच गई. कांग्रेस-भाजपा के समर्थक अपने-अपने प्रत्याशी के पक्ष में नारेबाजी करते रहे.
छत्तीसगढ़ में भाजपा की वापसी को देखकर सबसे पहले बेलतरा सीट के प्रत्याशी सुशांत शुक्ला मतगणनास्थल पहुंचे. तब तक सुशांत जीत के लिए बढ़त बनाए हुए थे. यहां समर्थकों ने उनका स्वागत करते हुए जमकर नारेबाजी की. हालांकि, जीत की घोषणा के लिए उम्मीदवारों को देर शाम तक इंतजार करना पड़ा.
इसके बाद तखतपुर से भाजपा प्रत्याशी धर्मजीत सिंह, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल अपने समर्थकों के साथ मतगणनास्थल पहुंच गए. सबसे पहले इन्हीं दोनों को जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर अवनीश शरण ने निर्वाचन प्रमाण पत्र दिया. यहां से निकलकर अमर अग्रवाल ने रैली निकाली. उनकी रैली में समर्थकों का रेला लग गया. जिसके चलते सड़क जाम की स्थिति बन गई.
बेलतरा विधानसभा सीट पर शुरूआती दौर में कांग्रेस उम्मीदवार विजय केशरवानी बढ़त बनाए हुए थे. लेकिन, लीड का अंतर कम था. इस दौरान जीत के प्रति आश्वस्त विजय केशरवानी सुबह से मतगणनास्थल पर डटे हुए थे. लेकिन जैसे-जैसे मतगणना का चक्र आगे बढ़ने लगा. वैसे ही भाजपा प्रत्याशी सुशांत शुक्ला के पक्ष में वोट गिरने लगे.
जीत के बाद निर्वाचन प्रमाणपत्र लेकर सुशांत शुक्ला ने भी अपने समर्थकों के साथ रैली निकाली. सीपत चौक से पहले समर्थक बुलडोजर लेकर पहुंचे थे, जिसमें चढ़कर सुशांत अपने राजनीतिक गुरु स्व. दिलीप सिंह जूदेव की तरह मूछों पर ताव देते रहे.
बिल्हा सीट पर रोमांचक स्थिति बनी रही. शुरुआत में भाजपा नेता धरमलाल कौशिक बढ़त बनाए हुए थे. लेकिन, कुछ देर बाद ही कांग्रेस के सियाराम कौशिक आगे हो गए. इस तरह से प्रत्येक चरण में दोनों नेता एक-दूसरे से आगे पीछे होते रहे. इसके चलते मतगणनास्थल पर उनके समर्थकों की धड़कने बढ़ गई थी.
दोपहर तक धरमलाल कौशिक तीन हजार से अधिक वोटों से आगे चल रहे थे. फिर अचानक आठवें राउंड के बाद सियाराम कौशिक आगे हो गए. देर शाम तक ऊहापोह की स्थिति बनी रही. हालांकि, आखिरी के सभी राउंड में भाजपा नेता धरमलाल के वोटों की गिनती लगातार बढ़ने लगी और वे चुनाव जीत गए.
बिलासपुर जिले में कांग्रेस 2018 की स्थिति में रही और दो सीटों पर ही जीत हासिल की है. हालांकि, इस बार विधानसभा सीट बदल गई है. तखतपुर और बिलासपुर सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गया है. वहीं, कोटा और मस्तूरी में कांग्रेस ने वापसी की है. जिले में दो सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद भी कांग्रेस की सत्ता जाने के गम में नेता जीत का जश्न नहीं मना पाए.
हालांकि, कांग्रेस नेता अटल श्रीवास्तव और दिलीप लहरिया की जीत पर समर्थकों में उत्साह दिखा. लेकिन, नेताओं ने अपनी जीत की रैली नहीं निकाली.