जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रैक पार करने वाली जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है. चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने दो टूक कहा कि रेलवे लाइन पर कोई भी जान जाती है, तो इसके लिए रेलवे जिम्मेदार होगा. रेलवे को पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए.
वहीं, रेलवे ने अपने जवाब में रेल लाइन के दोनों तरफ ब्लॉक करने और सुरक्षा के लिए जवानों को तैनात करने की जानकारी दी है. कहा कि लोगों के सुरक्षित आवागमन के लिए 31 मार्च 2024 तक फुट ओवरब्रिज का निर्माण कर लिया जाएगा. कोर्ट ने अब केस की सुनवाई जनवरी तक बढ़ा दी है.
दरअसल, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने रेलवे ट्रैक पार करते स्कूली बच्चों की मीडिया में रिपोर्ट को जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है. इस संबंध में रेलवे के अफसरों से जवाब-तलब किया था.
प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई कि GRP और RPF के रहते स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर पटरी पार कर स्कूल जाते हैं और छुट्टी के समय भी इसी मार्ग से घर लौटते हैं.
शुक्रवार को हाईकोर्ट ने रेलवे के अफसरों से दो टूक कहा कि रेलवे लाइन पर कोई भी न जाए. यह देखने और सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी रेलवे की है. कोर्ट ने इस बात को लेकर भी नाराजगी जताई है कि एफओबी का निर्माण अटका हुआ है. 25 मीटर का निर्माण कार्य पांच साल में पूरा नहीं हो पाया है.
इस पर रेलवे ने 31 मार्च 2024 तक निर्माण कार्य पूरा होने की जानकारी दी है. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सीनियर डिवीजनल इंजीनियर ने शपथ के साथ जवाब भी पेश किया है. वहीं दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ओर से अधिवक्ता ने जानकारी पेश करते हुए बताया है कि लोगों के सुरक्षित आवागमन के लिए अंडरब्रिज का निर्माण किया है.
पटरी के दोनों पार अब RPF के जवानों की ड्यूटी लगाई जाएगी. अंडरब्रिज के बजाय पटरी पार करने वालों को सख्ती से रोका जाएगा और अंडरब्रिज से ही आने-जाने की सलाह दी जाएगी. ROB का निर्माण कार्य जल्द पूरा करने की जानकारी भी रेलवे ने दी है.
लोगों के सुरक्षित आवागमन के लिए बनाया गया फुट ओवर ब्रिज (FOB) सालों पहले टूट चुका है. रेलवे ने नया FOB बनाने का काम शुरू तो किया था, लेकिन चार साल बाद भी इसका निर्माण पूरा नहीं हो पाया.
जिस जगह से बच्चे पटरी पार करते है, वहां पर यदि मालगाड़ी ज्यादा देर खड़ी रहती है तो उसके केबिन में चढ़कर पटरियों को पार करना बच्चों की मजबूरी हो जाती है. इसके अलावा सैकड़ों लोग भी रोजाना पटरियों को पार करते हैं.