रविवार को भारतीय जनता पार्टी ने किसान आत्महत्या मामले में नए दावे किए. BJP के जांच दल ने महासमुंद जिले में किसान आत्महत्या मामले में कहा कि खुदकुशी करने वाला किसान कर्ज, बिजली के लो वोल्टेज के कारण सिंचाई ना हो पाने और फसलों के नुकसान की वजह से परेशान था. इसी वजह से उसने खुदकुशी की. उसे कोई सरकारी मदद नहीं मिली.
मामला महासमुंद जिले के बागबाहरा विकासखंड के छुइहां गांव में हुई किसान आत्महत्या का है. मामले में जांच के लिए समिति बनाई थी. इसके संयोजक विधायक ननकीराम कंवर, सदस्य सांसद चुन्नीलाल साहू, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संदीप शर्मा, किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पवन साहू और महासमुंद की जिला अध्यक्ष रूप कुमारी चौधरी थीं. इन सभी ने गांव जाकर हालात का जायजा लिया. भाजपा के जांच दल ने जो पाया उसके बारे में बताते हुए प्रदेश प्रवक्ता संदीप शर्मा ने कहा कि छुइहां गांव का किसान कन्हैया आर्थिक बोझ से तंग आ चुका था. उसने खेत के पेड़ में फंदा लगाकर खुदकुशी की. कांग्रेस की सरकार कहती है कि उसके कार्यकाल में किसान खुशहाल हैं, हम पूछते हैं कि अगर किसान खुशहाल हैं तो कन्हैया ने खुदकुशी क्यों की.
कन्हैया 4 सालों से कर्ज के जंजाल में फंस चुका था, सूखे की वजह से उसकी फसल खराब हुई तो उसे फसल बीमा का लाभ नहीं मिला. हम मांग करते हैं कि लखीमपुर खीरी में जिस तरह प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जाकर किसान परिवारों को 50 लाख का मुआवजा दिया था उसी तरह कन्हैया के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा दिया जाए. पूरी घटना की न्यायिक जांच की जाए और मृत किसान के परिवार के योग्य युवक को सरकारी नौकरी दी जाए.
सांसद चुन्नीलाल साहू बोले- किसान ने बोरवेल कराने के लिए कर्ज लिया था. दबाव की राजनीति कांग्रेस कर ही है. कांग्रेस का विधायक वहां बैठकर मुआवजा दिला देंगे, 2 लाख का पैक हाउस दिला देंगे कहता रहा, जबकि ये तो योजना है. विधायक ने प्रभाव में लेने का प्रयास किया ताकि पोल न खुले. जिला प्रशासन के द्वारा कोई कहा गया कि सहकारी बैंक में कोई कर्ज नहीं है. जबकि एक्सिस बैंक में 4 लाख का कर्ज था. इस प्रकरण की न्यायिक जांच जरूरी है। प्रदेश कई किसान आत्महत्या के कगार पर हैं.
किसान मोर्चा के पवन साहू ने कहा – उस गांव में हम सब गए, जिस स्थिति में परिवार जी रहा है वो भयानक है. उस गांव के अन्य परिवार के लोग भी डरे हुए हैं. भाजपा की सरकार के बाद जो कांग्रसे की सरकार आई, लुभावने नारों से सरकार बनाई. प्रदेश में अब तक 1 हजार से अधिक किसान खुदकुशी कर चुके हैं. लखीमपुरी खिरी जाकर 50 लाख कांग्रेस सरकार ने दिए, अन्य प्रदेश के किसान को मदद दे सकते हैं. मगर अब तक CG के किसी किसान के पास संवेदना व्यक्त करने तक नहीं गए. जो कांग्रेस विधायक गया वो वहां सेंटिंग करने गया ताकि मामला तूल ना पकड़े.
रूप कुमारी बाेलीं – खल्लारी विधानसभा के छुइहां गांव में किसान के सुसाइड नोट में जो बातें लिखी हैं कांग्रेस की पोल खोलने को काफी हैं. कांग्रेस ये कहती रही कि बिजली बिल हाफ हुआ, बिल नहीं बल्कि वोल्टेज कम कर दिया गया. जिससे किसान के खेत में सिंचाई नहीं हो पाई. उसने कर्ज लिया मेहनत कर रह था रुपए चुकाने के लिए. बागबहरा में ओले गिरे मगर उसे मुआवजा नहीं मिला, किसान सम्मान निधी जो केंद्र सरकार देती है वो और फसल बीमा नहीं मिला, कुल मिलाकर उसकी आत्महत्या का कारण लो वोल्टेज और कर्ज से परेशानी थी.
27 जुलाई को महासमुंद जिले में एक किसान ने खुदकुशी कर ली. बागबहरा विकासखंड में छुईहा गांव में किसान फसल नुकसान से परेशान था. पूरा मामला तेंदूकोना थाना इलाके का है. जानकारी के मुताबिक, गुरुवार को 65 साल के किसान कन्हैया लाल का शव पेड़ पर फांसी के फंदे से लटका मिला था. पुलिस टीम को मृतक किसान के जेब से एक सुसाइड नोट मिला है.
इस सुसाइड नोट में लिखा है कि, कभी पानी से कभी बीमारी की परेशानी से फसल को नुकसान हो रहा है. जिसे करीब 8 से 9 साल हो गए हैं. मुझे हर साल घाटे ही घाटे का कष्ट झेलना पड़ रहा है. इस साल भी रबी फसल का धान बिजली की वोल्टेज सही नहीं होने के कारण खराब हो गया. 4 एकड़ की फसल मार खाने से बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ और 1 पैसे के लिए भी तरसना पड़ा है.
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता केदारनाथ गुप्ता ने कहा है कि कांग्रेस सरकार का घोर किसान विरोधी चरित्र बेनक़ाब हो गया है. कांग्रेस शासनकाल में हर तीसरे दिन एक किसान ने आत्महत्या की है. दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि कांग्रेस सरकार में आत्महत्या करने वाले किसानों को मानसिक रोगी तक बताया गया है.
पिछले विधानसभा चुनाव में की गई घोषणाओं को पूरा नहीं करने के कारण प्रदेश के किसान हलाकान हो चले हैं और हताश होकर आत्महत्या के लिए विवश हो रहे हैं. प्रदेश सरकार ने विधानसभा में स्वयं ही स्वीकारा है कि 2019 में 233, 2020 में 227, 2021 में 71, 2022 में 133 और 1 जनवरी 2023 से 20 जून तक 13 किसानों ने आत्महत्या की है. कुल मिलाकर, कांग्रेस शासनकाल में अब तक प्रदेश में 657 किसानों ने आत्महत्या की है.
सरकार की ओर से किसान की इस खुदकुशी के मामले में कहा गया कि मृतक किसान कन्हैया लाल बीते चार सालों में कुल 226 क्विंटल धान, 4 लाख 34 हजार 952 रुपये का समर्थन मूल्य पर विक्रय किया. किसान कन्हैया लाल का सहकारी बैंक में कोई कर्ज नहीं था, उनके पुत्र का 7,747 रुपये का ऋण माफ हुआ. राजीव गांधी न्याय योजना से भी 38 हजार 916 रुपये का लाभांश मिला. उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ मिला. जिला प्रशासन द्वारा तात्कालिक अंतरिम राहत के लिए 20 हजार रुपए की सहायता राशि दी गई है.
दो साल पहले उत्तर प्रदेश में चार किसानों और एक पत्रकार की जीप से कुचल कर की गई हत्या के दर्द पर छत्तीसगढ़ सरकार ने मरहम लगाया था. छत्तीसगढ़ सरकार इन पांच मृतकों के परिवार को 50 – 50 लाख रुपए का मुआवजा देने का एलान किया था. तब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को स्थानीय प्रशासन ने लखीमपुर जाने से रोक लिया था. तब मुख्यमंत्री ने प्रेस से चर्चा में कहा छत्तीसगढ़ किसानों का प्रदेश है. राज्य सरकार की ओर से वह लखीमपुर में मारे गए किसानों और पत्रकार के परिवार को 50-50 लाख रुपए देने की घोषणा कर रहे हैं. तब पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी ऐसी ही घोषणा की थी.