धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में शुरू से ही धान की बंपर पैदावार होती रही है लेकिन खरीदी का कोई ठोस सिस्टम नहीं होने के कारण किसानों की उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पाता था. यही वजह है कि साल 2001 में 23 लाख टन धान के उत्पादन के बाद सिर्फ 4 लाख 63 हजार टन ही धान खरीदा गया था.
साल 2016-17 के बाद धान खरीदी ने रफ्तार पकड़ी और राज्य बनने के 23 साल बाद इस साल सबसे ज्यादा धान खरीदी का रिकाॅर्ड बन गया है. अब तक कुल 111.75 टन धान की खरीदी की जा चुकी है जबकि धान खरीदी के लिए अभी 10 दिन से ज्यादा का समय बचा हुआ है. खरीदी के साथ ही किसानों को 23 हजार करोड़ से ज्यादा का भुगतान भी किया जा चुका है. सरकार किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीद रही है और कुल 130 लाख टन खरीदी का लक्ष्य रखा गया है.
बता दें कि इस साल सरकार प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीद रही है और इसके लिए 3100 रुपए प्रति क्विंटल का भुगतान भी किया जाएगा. छत्तीसगढ़ में इस साल धान बेचने के लिए 26 लाख 86 हजार किसानों ने अपना पंजीयन कराया है. इनमें 2 लाख 56 हजार नए किसान शामिल हैं. इनमें से अब तक तक 21 लाख 266 किसान अपना धान बेच चुके हैं. पिछले साल 2022-23 में 23 लाख 42 हजार 50 किसानों से 107.53 लाख टन धान की खरीदी हुई थी और किसानों को 22067 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था.
राज्य बनने के बाद साल 2001 में सिर्फ 4 लाख 63 हजार टन धान खरीदा गया था. जबकि कुल 37 लाख हेक्टेयर में 23 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था. इसके बाद धान का उत्पादन बढ़ने के साथ ही खरीदी भी बढ़ती गई. साल 2007-08 में 58 लाख टन धान में से सिर्फ 31 लाख 57 हजार टन की खरीदी हुई थी. इसी तरह 2016-17 में 69.59 लाख टन तथा 2017-18 में 57 लाख टन धान खरीदा गया था. 2019-20 में 83 लाख टन, 2020-21 में 92 लाख टन धान की खरीदी की गई. यानी धान बेचने वाले किसानो के साथ धान का रकबा और धान खरीदी का आंकड़ा लगातार बढ़ता गया.
धान खरीदी के साथ कस्टम मिलिंग की प्रक्रिया भी लगातार जारी है. अब तक 92 लाख 5 हजार 247 टन धान के उठाव के लिए DO जारी किया गया है. इसके विरुद्ध मिलर्स द्वारा 71 लाख 87 हजार 338 टन धान का उठाव किया जा चुका है.