स्वास्थ्य विभाग में भर्ती को लेकर राज्य सरकार की स्पेशल लिव पिटिशन सुप्रीम कोर्ट से खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है. इसके बाद भी हाईकोर्ट के आदेश पर अमल नहीं किया गया है, जिस पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. इस केस में न्यायालय की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दो IAS अफसर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
बलौदाबाजार जिले की रेवती रमन साहू की स्वास्थ्य विभाग में तृतीय श्रेणी पद पर नियुक्ति हुई थी. सेवाकाल के दौरान वर्ष 2016 में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता बताते हुए रेवती साहू की नियुक्ति निरस्त कर दी थी. जिसके खिलाफ रेवती साहू ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में आदेश दिया. जिस पर शासन ने डिवीजन बेंच में अपील की. डिवीजन बेंच ने भी स्वास्थ्य कर्मी की बर्खास्तगी आदेश को नियम विरुद्ध मानकर निरस्त कर दिया.
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर कर चुनौती दी थी. साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने शासन की अपील (SLP) खारिज कर दी थी. साथ ही हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया था. इसके बावजूद भी रेवती रमन साहू को जिला बलौदाबाजार में पुनः नियुक्ति नहीं दी गई और सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया.
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर याचिकाकर्ता ने अपने वकील अभिषेक पांडेय एवं गीता देबनाथ के माध्यम से हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना याचिका दायर की है. इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क देते हुए कहा कि डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता के बर्खास्तगी आदेश को नियमों के खिलाफ बताया है. साथ ही बर्खास्तगी आदेश निरस्त कर याचिकाकर्ता को सेवा में बहाल करने का आदेश दिया है. इसके बाद भी राज्य शासन के अधिकारियों ने याचिकाकर्ता को ज्वाइनिंग नहीं दी है. याचिकाकर्ता ने कहा कि न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने के साथ ही राज्य शासन के आला अफसरों ने दुर्भावनावश कार्य किया है. जानबूझकर परेशान करने की कोशिश भी की है.
याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, स्वास्थ्य संचालक जयप्रकाश मौर्या के साथ ही CMHO डॉ एमपी. माहिश्वर को अवमानना नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच की नोटिस के बाद इन अफसरों को जवाब पेश करना होगा. जवाब में कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के लिए समुचित कारण भी बताना होगा.