छत्तीसगढ़ में बेमेतरा जिले के बारगांव में 854 ऐसे किसान हैं, जिन्हें वहां रहने वाले ग्रामीण ही नहीं जानते. न तो इस गांव में इन किसानों के कोई मकान है और न ही कोई जमीन है. बावजूद इसके प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का पैसा इनके खाते में जा रहा है.
खास बात यह है कि इस गांव में सिर्फ 19 किसान ही मुस्लिम समुदाय से हैं, लेकिन लिस्ट में 656 नाम दर्ज हैं. इनमें से ज्यादातर के खाते पश्चिम बंगाल के बैंक की शाखाओं के हैं. अब तक इन सभी कथित किसानों के खातों में ढाई करोड़ से ज्यादा रुपए ट्रांसफर हो चुके हैं.
जिला मुख्यालय से करीब 23 किलोमीटर दूर बेरला ब्लॉक में बारगांव हैं. यहां रहने वाले किसान नरेंद्र वर्मा भाजपा के जिला महामंत्री भी हैं. वह बताते हैं कि PM किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों से संपर्क अभियान चलाने के लिए वे च्वॉइस सेंटर पहुंचे.
वहां से पात्र 1456 किसानों की लिस्ट निकाली तो उसे देखकर हैरान रह गए. उस लिस्ट में ऐसे लोगों के नाम शामिल थे, जिन्हें उन्होंने कभी देखा ही नहीं है. नरेंद्र बताते हैं कि वे लिस्ट लेकर गांव पहुंचे और सरपंच व कोटवार के साथ लिस्ट का मिलान किया.
उन्होंने बताया कि इस लिस्ट में ज्यादातर नाम मुस्लिम समुदाय के किसानों के थे. ऐसे में गांव के ही रहले वाले शेख सरफुद्दीन और ईशुब बेग को बुलाया गया. उन्होंने भी लिस्ट में लिखे नामों की पुष्टि नहीं की. इससे पता चला कि लिस्ट में दर्ज करीब 854 नाम फर्जी किसानों के हैं.
शेख सरफुद्दीन कहते हैं कि, इसी गांव में रहते हुई उनकी ये तीसरी पीढ़ी है. लिस्ट में शामिल 19 मुस्लिम किसान गांव के ही हैं, लेकिन बाकी के 656 मुस्लिम नामों में से वे किसी एक को भी नहीं जानते. सरफुद्दीन भी हैरान हैं कि आखिर इतने मुस्लिमों के नाम आए कहां से? अब तक सरकारी अधिकारियों ने इसका वैरिफिकेशन क्यों नहीं किया?
लिस्ट के मिलान के दौरान पता चला कि इन फर्जी किसानों की लिस्ट में 198 नाम बंगाली सरनेम वाले हैं. गांव के समीर कुमार वर्मा बताते हैं कि लिस्ट में मुस्लिम नामों के अलावा राय, दास, सरकार, विश्वास जैसे सरनेम भी मिले, जबकि गांव में केवल एक ही बंगाली परिवार है. वह भी कुछ साल पहले ही आकर बसा है और उनके नाम पर गांव में कोई जमीन नहीं है.
समीर का कहना है कि सम्मान निधि की राशि के लिए बायो-मैट्रिक वैरिफिकेशन होता है. आधार कार्ड की जांच होती है, तब खाते में पैसा आता है, लेकिन बारगांव के नाम से किसानों के हक का पैसा दूसरे डकार रहे हैं. यहां के पंच बिसनाथ निषाद का कहना है कि वोटर लिस्ट में भी इन लोगों के नाम नहीं है.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तौर पर हर साल किसानों को 6 हजार रुपए मिलते हैं. ऐसे में लिस्ट में शामिल 854 फर्जी किसानों को सालाना 51 लाख 24 हजार रुपए मिल रहे हैं. ये योजना 2019 से शुरू हुई, तब से 2 करोड़ 56 लाख से ज्यादा की राशि इनके खातों में जा चुकी होगी.
गांव के ही विकास वर्मा ने बताया कि बारगांव के पास की पंचायत बेलौदी में भी पात्र किसानों की लिस्ट निकाली गई तो वहां भी पहले ही पेज में 12 मुस्लिम समुदाय के लोगों के नाम मिले. जबकि गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता. वह कहते हैं कि अगर अन्य पंचायतों की भी लिस्ट निकले तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है.
पिछले कई सालों से गांव में रह रहे फत्तेलाल साहू ने बताया कि किसान सम्मान निधि के लिए उन्होंने भी आवेदन किया था. शुरुआत की कुछ किश्तें उनके खाते में आईं, लेकिन अब पैसे आने बंद हो गए हैं. साहू का कहना है कि गांव में ही रहने वाले सही हकदारों को पैसा नहीं मिल रहा, लेकिन फर्जी किसानों के खातों में राशि चली गई, जिसका पता अधिकारियों को नहीं लगा.
लिस्ट में बारगांव किसानों के नाम पर जिन फर्जी किसानों को राशि भेजी गई है, उनमें सबसे ज्यादा खाते वेस्ट बंगाल से हैं. इनके अलावा कई खाते हरियाणा, पंजाब, UP और मध्यप्रदेश के भी मिले हैं. लिस्ट में शामिल नाम सोनिया खातून के खाते की IFSC कोड जांच करने पर अकाउंट SBI के वेस्ट बंगाल के दिनाजपुर का मिला.
इसी तरह हसिबुल रहमान का खाता PNB के हप्तियागाछ शाखा वेस्ट बंगाल का था. अजीजुल रहमान नाम के व्यक्ति का खाता चेक करने पर खाता भोपाल से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के न्यू मार्केट का मिला. कई और किसानों के अकाउंट नंबर अलग-अलग राज्यों के हैं.
गांव की सरपंच धनेश्वरी चंदेल का कहना है कि जितने मुस्लिम नाम है, उतनी आबादी तो मुस्लिमों की गांव में नहीं है. धनेश्वरी ने कहा कि मामले की जांच होने की चाहिए. प्रधानमंत्री के नाम पर चल रही योजना में गड़बड़ी कहां हुई है.
मामले में कृषि विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर जितेंद्र ठाकुर का कहना है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना पूरी तरह से भारत सरकार संचालित करती है और पंजीयन ऑनलाइन या ऑफलाइन होता है.
ठाकुर के मुताबिक, 2019 में जब योजना शुरू हुई तब भुइंया ऐप से ये लिंक नहीं था और आधार कार्ड जरूरी नहीं था. इसलिए दूसरे राज्यों के लोगों ने भी कहीं से भी इस योजना में पंजीयन करा लिया.
जितेंद्र ठाकुर ने बताया कि जांच विकासखंड स्तर पर की जा रही है. व्यक्ति अगर छत्तीसगढ़ का है तो उससे रिकवरी की जा सकती है, लेकिन दूसरे राज्यों में लोगों को ढूंढना और उनसे पैसे वापस लेना मुश्किल है.
मामला संज्ञान में आने के बाद बेमेतरा कलेक्टर रणवीर शर्मा ने जांच कमेटी गठित की है. हालांकि ये कमेटी विकासखंड स्तर तक जांच कर रही है. जानकारी के मुताबिक योजना में जिले के 1 लाख 8 हजार 301 किसानों का पंजीयन हुआ है. ऐसे में गांव की पूरी लिस्ट का फिजिकल वैरिफिकेशन होने से कई और खुलासे हो सकते हैं.