छत्तीसगढ़ सरकार ने PMLA प्रावधानों के खिलाफ दायर याचिका वापस ले ली है. अपनी रिट याचिका में छत्तीसगढ़ ने तर्क दिया था कि PMLA का इस्तेमाल गैर-भाजपा राज्य सरकार के सामान्य कामकाज को “डराने, परेशान करने और परेशान करने” के लिए किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को छत्तीसगढ़ को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और S.V.N. की खंडपीठ भट्टी ने राज्य को झुकने की अनुमति दे दी.
राज्य की वापसी न्यायमूर्ति संजय किशन कौल द्वारा खुली अदालत में सूचित किए जाने के एक दिन बाद हुई है कि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2022 के फैसले की समीक्षा के लिए एक विशेष तीन-न्यायाधीश पीठ का गठन किया है, जिसने PMLA में पेश किए गए संशोधनों को बरकरार रखा था.
जिसने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को व्यापक अधिकार दिए थे. व्यक्तियों को गिरफ्तार करना और सम्मन भेजना और निजी संपत्ति पर छापा मारना. न्यायमूर्ति खन्ना विशेष पीठ के सदस्य हैं, जिसमें न्यायमूर्ति बेला M. त्रिवेदी भी शामिल होंगी. इस बेंच की अध्यक्षता जस्टिस कौल करेंगे.