छत्तीसगढ़ सरकार जल्द ही श्रमिकों के लिए मुफ्त भोजन की व्यवस्था करने जा रही है. इससे पहले उनको दाल-भात केंद्रों से 5 रुपए में भोजन मिल रहा था. श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन का दावा है कि इन केंद्रों के जरिए करोड़ों का घोटाला हुआ है. उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही है.
दरअसल, रायपुर में 11 और प्रदेश भर में 128 दाल भात केंद्र संचालित थे. इन्हें रमन सिंह सरकार ने 2004 में अन्न पूर्णा दाल भात योजना के तहत शुरू किया था इसके बाद 2018 में कांग्रेस सरकार आई और 2019 अप्रैल में चावल मिलना बंद हुए तो केंद्र भी बंद हो गए.
रायपुर में श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने कहा है कि गरीब मजदूरों के दाल-भात में गड़बड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि, केंद्र बंद होने के बाद भी ठेका एजेंसी को भुगतान किया गया है. इसकी जानकारी मिलने के बाद अब अफसरों से मंत्री ने फाइल मंगवाई है.
मंत्री देवांगन ने कहा कि, कांग्रेस ने 52 रुपए प्रति मजदूर के हिसाब से भुगतान किया है. ठेकेदार को पेमेंट भी हुआ है. यह सरासर नाइंसाफी है. करोड़ों रुपए भुगतान हो चुका, लेकिन भोजन नहीं मिल रहा है. इसे देखते हुए हमने निर्देश दिया है, रिकवरी भी की जाएगी.
मंत्री ने कहा कि सरकार के पास व्यवस्था है भोजन के बदले पैसे देने की तो श्रमिकों से पैसे क्यों लेना. हम मुख्यमंत्री से चर्चा करके योजना बना रहे हैं. मजदूर से पैसे लेने की आवश्यकता नहीं है. हम जल्द ही निःशुल्क भोजन मजदूरों को देने की व्यवस्था करने की दिशा में काम कर रहे हैं.
कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल ने तब कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य के 128 दाल भात केंद्र को मिलने वाले चावल पर रोक लगा दी है. यह मोदी सरकार का घोर ग़रीब विरोधी निर्णय है. छत्तीसगढ़िया भोला जरूर होता है, पर कमजोर नहीं.
दाल-भात केंद्रों में गड़बड़ी का ये मामला आगामी विधानसभा सत्र में उठेगा. भाजपा इस मामले में कांग्रेस को घेरने की तैयारी में है. श्रम मंत्री ने अधिकारियों को इस पूरे मामले की जानकारी देने को कहा है. चर्चा है कि गड़बड़ी में कुछ अफसरों पर भी कार्रवाई हो सकती है.
दूसरी तरफ श्रमिकों को नि:शुल्क भोजन देने का ऐलान भी विधानसभा में साय सरकार आधिकारिक रूप से कर सकती है. बजट सत्र में इसे लेकर वित्तीय बंदोबस्त के साथ सरकार इस योजना को फिर से प्रदेश में लागू करने की तैयारी में है.