अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसे लेकर पूरे देश में उत्साह और उत्सव का माहौल है. ऐसे में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ‘राम वन गमन पथ’ मार्ग बदलने की तैयारी कर रही है. अफसरों के मुताबिक, रमन कार्यकाल में बनी पुरानी समिति की रिपोर्ट पर नया प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश सरकार से मिले हैं.
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अधिकारियों ने शासन से मिले निर्देश को अब अमल में लाना भी शुरू कर दिया है. धर्मस्व एवं पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि, कांग्रेस सरकार ने पैसा कमाने के लिए अपने हिसाब से मार्ग तय किया था. राम वन गमन पथ मार्ग सही बने, इसलिए बीजेपी शासन में समिति की ओर से किए गए सर्वे के आधार पर ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा.
सूत्रों के अनुसार, रमन सिंह सरकार के कहने पर समिति ने छत्तीसगढ़ में श्रीराम ने जहां-जहां वनवास का समय बिताया, उसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर सौंपी थी. इस रिपोर्ट को केंद्र से स्वीकृति नहीं मिल पाई और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई. अब फिर भाजपा सरकार आने के बाद नए सिरे से तैयारी चल रही है.
तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने 7 अक्टूबर, 2021 को भगवान श्रीराम के वनवास काल से जुड़े स्थलों को विकसित करने की योजना का शुभारंभ किया था. इसकी शुरुआत माता कौशल्या की नगरी चंदखुरी से की गई. राम वन गमन पथ के विकास के लिए ₹162 करोड़ का प्रस्ताव बनाया गया. इससे करीब 2260 किमी क्षेत्र कार्य होने थे.
परियोजना के तहत सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाज़ार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) का 13 स्थानों का विकास किया जा रहा है.
कांग्रेस सरकार ने राम वन गमन पथ से जुड़ी जगहों के साथ 75 जगहों को चिन्हित किया था. इसे नए पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करना था. पहले चरण में नौ जगहों पर काम चल रहा है. इसमें उत्तरी छत्तीसगढ़ में कोरिया से लेकर दक्षिण में सुकमा तक शामिल है.
पर्यटन मंडल के अधिकारियों के अनुसार, जो स्थान चिह्नित किए गए, उनमें सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरी नारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-साऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) शामिल हैं.
इसमें से चंद्रपुरी रायपुर में कार्य शुरू हो चुका है, जहां लगभग 30% से ज्यादा कार्य पूर्ण हो चुके हैं. वहीं शिवरीनारायण के साथ राजिम और तुरतुरिया में भी काम जारी है.
छत्तीसगढ़ के इतिहासविद बताते है, कि वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्री राम वनवास काल में अयोध्या से विभिन्न पवित्र नदियों से होकर दंडकारण्य पहुंचे. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, चित्रकूट के बाद भगवान राम छत्तीसगढ़ आए. दण्डकारण में छत्तीसगढ का भू-भाग भी समाहित था.
छत्तीसगढ़ उन दिनों दक्षिण कोसल कहलाता था. इसे उत्तर से दक्षिण भाग को जोड़ने वाला दक्षिणापथ भी कहा जाता है. वाल्मीकि रामायण में इसका उल्लेख है. शोध से यह तथ्य सामने आया है कि प्रभु राम का पहली बार कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका पहुंचे थे. इसके बाद कोंटा, बस्तर तक करीब 1100 किमी की यात्रा की.
चंदखुरी भी रामायण से छत्तीसगढ़ को सीधे जोड़ता है. रामायण के बालकांड के सर्ग 13 श्लोक 26 में चंदखुरी का जिक्र मिलता है. तब इसका नाम चंद्रखुरी हुआ करता था, जो बाद में चंदखुरी हो गया.
रामायण के मुताबिक कौशल के राजा भानुमंत की पुत्री का नाम भानुमति था. उनका विवाह राजा दशरथ से हुआ. कौशल क्षेत्र की राजकुमारी होनी की वजह से उनका नाम कौशल्या पड़ा.
राम वन गमन पथ योजना में भ्रष्टाचार होने की शिकायत सीएम विष्णुदेव साय से RTI कार्यकर्ता ने की है. उसने पूरे मामले में पर्यटन मंडल के एक अधिकारी के ऊपर आरोप लगाया है और मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है.
RTI कार्यकर्ता ने लिखित शिकायत में सीएम साय को बताया है, कि मंडल छोटे-छोटे टुकड़ों में काम करवा रही है और उसका भुगतान हो रहा है. भुगतान के दौरान काम की गुणवत्ता की जांच नहीं हो रही है.