मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बुधवार को जगदलपुर में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिलेवासियों को ₹637 करोड़ से अधिक की लागत के 2300 विकास कार्यों की सौगात दी. इनमें 486 करोड़ 70 लाख 76 हजार रुपये की लागत के 1838 कार्यों का भूमिपूजन तथा 150 करोड़ 32 लाख रुपए लागत के 462 कार्यों का लोकार्पण शामिल है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर आदिवासियों और क्षेत्रवासियों के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की.
सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि बस्तर शांति का टापू है, शस्य श्यामला है और प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है. बस्तर में साफ दिल के लोग हैं, भोले-भाले लोग हैं, मेहनतकश और ईमानदार लोग हैं. पिछले कुछ वर्षों से जो भय का माहौल बना था, आज वह भय से उन्मुक्त होते जा रहे हैं. आज हिंसक घटनाओं में बहुत कमी आई है और उसका लाभ जनता उठा पा रही है. लोग आसानी से व्यापार-व्यवसाय कर रहे हैं, शिक्षा से, रोजगार से जुड़ रहे है और अपनी संस्कृति से जुड़कर संरक्षित एवं संवर्धित कर रहे हैं. जिस सुंदर बस्तर की कल्पना हमारे पुरखों ने की थी, आज उसे साकार करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार दिन रात मेहनत कर रही है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने संबोधन की शुरुआत मां दंतेश्वरी के जयकारे के साथ की. उन्होंने जनजातीय समुदाय के देवी-देवताओं को प्रणाम करते हुए सभी को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दी. भूपेश बघेल ने कहा कि आज का दिन आदिवासियों के लिए समर्पित है. पूरे विश्व में आदिवासी भाई बहन बहुत उल्लास के साथ अपना दिवस मना रहे हैं. यह बताते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है कि हमारी सरकार ने सबसे पहले विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर शासकीय अवकाश देने की शुरुआत की है. इसके साथ ही आज 5633 ग्राम पंचायतों को आदिवासी परब सम्मान निधि की दूसरी किश्त के रूप में ₹281.65 लाख की राशि जारी की गई है. यह पहली बार हुआ है कि आदिवासियों के जो त्यौहार परब है उसके लिए सम्मान निधि ₹10 हजार सालाना देने का निर्णय लिया गया है, ताकि हमारे आदिवासी भाई बहन उल्लास के साथ अपने त्यौहार मना सकें.
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि आदिवासियों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने का काम हमने किया है. हजारों साल से जंगल से आदिवासियों का नाता रहा है. जो जंगल आज बचा है, वह आदिवासी भाइयों के कारण बचा है, वही उनके साथ जीवन-यापन करते हैं, उसे सुरक्षित रखते हैं. यही कारण हैं कि हम लोगों ने पूरे देश में सर्वाधिक वन अधिकार पट्टा देने का काम किया है. हमने लोगों को सामुदायिक दावा अधिमान्यता पत्र और वन संसाधन अधिकार भी दिए है. नारायणपुर जिले में पहली बार सर्वे कर अबुझमाड़ में मसाहती पट्टा देने का काम किया जा रहा है. अब तो व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र में ऋण पुस्तिका भी बनने लगा है, उसमें लोन भी मिल रहा है और धान सहित फसल बेचने का अधिकार भी लोगों को मिला है.
उन्होंने कहा कि हमारे वनांचल क्षेत्र में रहने वाले भाई-बहन वनोपज का संग्रहण करके साल भर अपना खर्चा चलाते हैं और अपनी जरूरत का समान खरीद पाते हैं. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही हमारी सरकार ने 67 प्रकार के वनोपज खदीने की न केवल व्यवस्था की है, बल्कि उसका समर्थन मूल्य घोषित किया और उसका वैल्यू एडिशन भी कर रहे हैं. कैसे आदिवासी की जेब में अधिक से अधिक पैसा जाए इस दिशा में हमने काम किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बस्तर में बच्चे फर्राटे से अंग्रेजी में बात कर रहे हैं, इसे देखकर बड़े-बड़े लोग जो अंग्रेजी बोलने वाले हैं वह भी दांतो तले उंगली दबा लेते हैं. इस प्रकार से ना केवल स्कूल बल्कि अंग्रेजी कॉलेज भी हमारे राज्य में खोले जा रहे हैं.
इन कार्यों में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के 32 करोड़ 89 लाख रुपये लागत के 198 कार्य, नगर निगम जगदलपुर के 10 करोड़ 27 लाख 68 हजार रुपए लागत के 113 कार्य, लोक निर्माण संभाग जगदलपुर-1 के 12 करोड़ 48 लाख 27 हजार रुपए लागत के 18 कार्य, लोक निर्माण संभाग जगदलपुर-2 के 30 करोड़ 80 लाख 90 हजार रुपए लागत के 14 कार्य, जनपद पंचायत बकावण्ड के 1 करोड़ 79 लाख 50 हजार रुपए लागत के 49 कार्य, जनपद पंचायत लोहण्डीगुड़ा के 1 करोड़ 99 लाख 76 हजार रुपए लागत के 34 कार्य, क्रेडा विभाग के 29 करोड़ 83 लाख रुपए लागत के 190 कार्य और मुख्यमंत्री की घोषणाओं के तहत 24 करोड़ 56 लाख 29 हजार रुपये लागत के 4 कार्य व अन्य कई कार्यों का भूमिपूजन किया.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां लोक निर्माण संभाग जगदलपुर-1 के 64 करोड़ 71 लाख 11 हजार रुपए लागत के 20 कार्य, सीजीएमएसई के 1 करोड़ 67 लाख 60 हजार रुपए लागत के 8 कार्यों, लोक निर्माण संभाग जगदलपुर-2 के 9 करोड़ 44 लाख रुपये लागत के 4 कार्यों, मनरेगा अंतर्गत 5 करोड़ 77 लाख रुपये लागत के 12 कार्य, मुख्यमंत्री घोषणाओं के तहत 18 करोड़ 39 लाख 52 हजार रुपए लागत के 6 विकास कार्य व अन्य कई करोड़ों रुपये के कार्यों का लोकार्पण भी किया.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा की गई घोषणा के तहत बस्तर संभाग के सभी जिला मुख्यालयों में बीएड और डीएड कॉलेज खोले जाएंगे. इसी तरह शासकीय महाविद्यालय तोकापाल एवं लोहंडीगुड़ा में 50-50 सीटर बालक-बालिका छात्रावास का निर्माण, उद्यमी विकास संस्थान गीदम रोड एवं जगदलपुर में आदिवासियों के संस्कृति के प्रतीक बुढ़ादेव गुडी निर्माण एवं मूर्ति स्थापना, भीमराव अंबेडकर पूर्व माध्यमिक शाला बलिराम कश्यप वार्ड जगदलपुर का हाई स्कूल में उन्नयन, ग्राम बोदली से कहचेनार तक 10 किमी. नवीन डामर सड़क निर्माण, मुण्डागढ़ से लूलेर दलदली मलकानगिरी (ओडिसा) मार्ग लम्बाई 11 किमी मार्ग निर्माण, जगदलपुर में इंडोर स्टेडियम निर्माण कार्य की घोषणा की गई.
इसके अलावा धरमपुरा, जगदलपुर में पुलिस थाना भवन निर्माण की स्वीकृति, आदिवासी समाज के रोजगार संवर्धन के लिए शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, डिमरापाल में स्थित सात दुकानों को आदिवासी समाजों को आबंटित किया जाएगा. मडरीमहु- उरुकपाल-कुमाकोलेंग लम्बाई 14.50 किलोमीटर मार्ग निर्माण, मडरीमहु से उसकपाल तक लम्बाई 5 किलोमीटर सड़क निर्माण, मालेवाही से ककनार तक पक्की सड़क निर्माण लम्बाई 30 किलोमीटर सड़क निर्माण, बालक आश्रम बुरगुम वि.ख. बास्तानार हेतु भवन निर्माण की स्वीकृति, बालक आश्रम बोदली वि.ख. लोहण्डीगुडा के लिए भवन निर्माण की स्वीकृति की घोषणा की गई.
जिला न्यायालय जगदलपुर चौक जगदलपुर का नामकरण ‘भूमकाल चौक’ के नाम पर किया जाना, जिला बस्तर के धरमपुरा में ‘धरमु माहरा’ के नाम से प्रवेश द्वार निर्माण की स्वीकृति, भंवरडीह नदी में उच्च स्तरीय पुल निर्माण, हाई स्कूल नेतानार का हायर सेकण्डरी स्कूल में उन्नयन, शासकीय कन्या हाई स्कूल बड़े किलेपाल का हायर सेकेंडरी स्कूल में उन्नयन, मक्का प्रोसेसिंग इकाई कोकोड़ी जिला कोंडागांव का नामकरण ‘मां दंतेश्वरी नमक्का प्रोसेसिंग इकाई कोकोड़ी जिला कोंडागांव’ किया जाना, शासकीय आदर्श कन्या महाविद्यालय कोंडागांव का नामकरण ‘प्रमिला देवी नाग शासकीय आदर्श महाविद्यालय कोंडागांव’ किया जाना, शासकीय पॉलीटेक्निक कांकेर का नामकरण घरमन देव कंडरा शासकीय पॉलीटेक्निक कांकेर किया जाना शामिल है.
उपमुख्यमंत्री श्री टीएस सिंहदेव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सभी को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि आज सरकार के प्रयासों से बस्तर और सरगुजा के आदिवासियों में खुशहाली और सम्पन्नता आई है. लोगों को उनके अधिकार मिल रहे हैं. उनके आस्था स्थलों का संरक्षण किया जा रहा है. आदिवासियों के हित में आगे भी इसी तरह काम करते रहेंगे.